विश्व को शांति की आवश्यकता
स्वामी हरिचैतन्य पुरी महाराज कहते हैं कि संत कहलाने वाले स्वयं मार्ग से भटक कर भौतिकता की चकाचौंध में जकड़ गए हैं।
काशीपुर। स्वामी हरिचैतन्य पुरी महाराज कहते हैं कि संत कहलाने वाले स्वयं मार्ग से भटक कर भौतिकता की चकाचौंध में जकड़ गए हैं। उनकी कथनी और करनी में अंतर से उपदेशों का प्रभाव नहीं हो रहा है। आज सारे विश्व को शांति की आवश्यकता है। संतों की शरण और सदविचारों में सुख व शांति मिलती है। यदि इंद्रियों पर नियंत्रण नहीं होगा तो सुख प्राप्त नहीं होगा। वर्तमान में कथा, प्रवचन व धार्मिक अनुष्ठानों के आयोजनों में वृद्धि हुई है। फिर भी अत्याचार पर अपराध बढ़ रहे हैं। इसका कारण संतों का दिग्भ्रमित होना है। गढ़ी नेगी में आयोजित विराट धर्म सम्मेलन में श्रीहरि प्रकटोत्सव धूमधाम से मनाया गया। इसमें देश के कई राज्यों से श्रद्धालु पहुंचे। अखंड मानस पाठ का मंगलवार को पारायण किया गया। उसके बाद विशाल भंडारा हुआ।
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