सुदामा के पास भगवान का नाम रूपी धन था
नहर पार हनुमान नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथा वाचक परम पूज्य आचार्य हरी शरण जी ने भगवान श्रीकृष्ण के वैदिक रीति-रिवाज से हुए 16,107 विवाह का वर्णन किया।
फरीदाबाद। नहर पार हनुमान नगर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के आखिरी दिन कथा वाचक परम पूज्य आचार्य हरी शरण जी ने भगवान श्रीकृष्ण के वैदिक रीति-रिवाज से हुए 16,107 विवाह का वर्णन किया। उन्होंने सुदामा की दोस्ती व राजसू यज्ञ का उल्लेख करते हुए श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
आचार्य हरी शरण जी ने कहा कि सुदामा जी के पास में भगवान का नाम रूपी धन था। संसार के लोग दूसरी दृष्टि से सुदामा को निर्धन मानते हैं, जबकि सुखदेव जी की दृष्टि में सुदामा जी सबसे बड़े धनवान हैं। असली धन प्रभु नाम धन है। इस धन को कमाने के लिए मात्र जिव्हा की जरूरत होती है। कबीरदास जी ने कहा कि कबीरा सब जग निर्धना, धनवंता नहीं कोई, सोई धनवंता जानियो, जापे राम नाम धन हौये। राम रूपी धन जो कमाएगा, वो संसार के समस्त सुख का आनंद उठाएगा। सुदामा जी के जीवन में कृष्ण प्रेम दर्शाया है, जिसमें सुदामा जी कृष्ण से प्रेम करते थे। शुक्रवार की सुबह हवन के बाद भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
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