उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब
श्रीश्री शीतला माता स्नानोत्सव पर मां के दर्शन- पूजन के लिए बांधा घाट तथा उसके आसपास श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। मंदिरों में सुबह से ही व्रतियों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।
हावड़ा, कार्यालय संवाददाता। श्रीश्री शीतला माता स्नानोत्सव पर मां के दर्शन- पूजन के लिए बांधा घाट तथा उसके आसपास श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। मंदिरों में सुबह से ही व्रतियों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी।
गंगा स्नान के बाद व्रती दंडवत करते हुए बड़ी मां के मंदिर पहुंची और मां की पूजा-अर्चना की। वहीं मुहूर्त आरंभ होते ही मंदिरों से सातों शीतला माताओं की फूलों से सजी पालकी गंगाघाट के लिए निकली, जो सलकिया, बाबूडांड़ा होते हुए अपनी आदिबाड़ी पहुंची। वहां कुछ देर रुकने के बाद मां का काफिला फूलतल्ला, बांधाघाट होते हुए मुर्गीहट्टा स्थित अपनी छोटी बहन छोटी शीतला मां मंदिर पहुंचा। वहां से पालकी को कालीतल्ला, सलकिया, अरविन्द रोड होते हुए बांधाघाट ले जाया गया, जहां मां को स्नान कराने के बाद पालकी मंदिर लौटी। इस दौरान काफिले में भक्तगण ढोल, नगाडे़ के बीच झूमते रहे।
मंदिर पहुंचने के बाद मां का श्रृंगार किया गया। दिनभर भूखे-प्यासे रहने के बाद भी व्रतियों के चेहरे पर मुस्कान थी। दंडी प्रणाम के साथ इस उत्सव की शुरूआत हुई। व्रतियों ने सर्वप्रथम गंगा स्नान कर बड़ी मां के मंदिर में दर्शन किया उसके बाद पुन: वे गंगा घाट पहुंच कर सभी शीतला माताओं को कलशी भरे गंगा जल से स्नान कराया। इस के विधि के पूर्ण होने के बाद शीतला माता को मंदिर में विराजमान कर भव्य श्रृंगार किया गया।
इसके उपरांत इस अवसर पर मां के दर्शन एवं पूजा अर्चना के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही थी। बांधा घाट के समीप स्थित मंदिर में सुबह से रात तक पूजा-पाठ होती रही। मां के दर्शन के लिए पासवर्ती जिले से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे। इस अवसर पर भीड़ नियंत्रण तथा सुरक्षा के लिए हावड़ा पुलिस ने पुख्ता इंतजाम किया था। हालांकि कहीं- कही पुलिस की घेराबंदी से श्रद्धालुओं को दिक्कत सहनी पड़ी। इस दौरान माइक की आवाज पर भी नियंत्रण नहीं रहा। बताया जाता है कि शीतला माता स्नानोत्सव की परंपरा 1539 ई0 से ही चली आ रही है। आज भी यह परंपरा पूरी अस्था व उत्साह के साथ कायम है।
आकर्षण का केंद्र रहीं भव्य झांकियां मां शीतला स्नानयात्रा के दौरान जहां लोगों ने मां का दर्शन किया, वहीं रंगबिरंगी झांकियों का भी लुत्फ उठाया। रंगबिरंगी बत्तियों की रोशनी और भक्ति गीतों के बीच बच्चों के साथ बुजुर्ग भी झूम उठे। झांकी में छोटे-छोटे घोड़ों के साथ विभिन्न तरह के दृश्य देखे गए। देशभक्ति से प्रेरित झांकियां आकर्षण का केंद्र रहीं।
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