अपर गंगा को बनाया जाए विश्व धरोहर
अविरल निर्मल गंगा व यमुना कांफ्रेंस में नेशनल गंगा-नेचुरल गंगा की थीम पर आयोजित चर्चा में जाने-माने शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदें और संतों ने अपर गंगा को विश्व धरोहर बनाए जाने की वकालत की। इस संबंध में गंगा एक्शन परिवार ने प्रस्ताव तैयार करने पर विस्तार से चर्चा की।
ऋषिकेश [देहरादून], जागरण संवाददाता। अविरल निर्मल गंगा व यमुना कांफ्रेंस में नेशनल गंगा-नेचुरल गंगा की थीम पर आयोजित चर्चा में जाने-माने शोध संस्थानों के वैज्ञानिकों, पर्यावरणविदें और संतों ने अपर गंगा को विश्व धरोहर बनाए जाने की वकालत की। इस संबंध में गंगा एक्शन परिवार ने प्रस्ताव तैयार करने पर विस्तार से चर्चा की।
गंगा एक्शन परिवार के तत्वावधान में परमार्थ निकेतन में नेशनल गंगा-नेचुरल गंगा थीम पर चर्चा परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि महाराज की अध्यक्षता में आयोजित बैठक में की गई। चर्चा में विभिन्न शोध संस्थानों के प्रख्यात वैज्ञानिक, पर्यावरणविद् व संतों ने गंगा में न कुछ डालेंगे और न गंगा से कुछ निकालेंगे के सिद्धांत पर काम करने का संदेश दिया। विशेषज्ञों ने इस संबंध में व्यापक लोकमत तैयार कर केंद्र व राज्य सरकारों से इस सिद्धांत का पालन करने हेतु उचित नीति तैयार करने की अपील की। वक्ताओं ने गंगा संरक्षण के लिए एक गंगा रिलीफ फंड स्थापित किए जाने की बात भी उठाई।
प्रख्यात पर्यावरणविद् सुंदर लाल बहुगुणा ने जन मानस से पर्यावरण संरक्षण के लिए अधिक से अधिक पौधे लगाने की अपील की। पंजाब के संत बलवीर सिंह सींचेवाल ने पंजाब की बेंई नदी के पुनर्जीवन की सफलता की कहानी पर चर्चा करते हुए गंदे नालों को खेती में उपयोग करने और परिशुद्ध जल को नदियों से जोड़ने पर जोर दिया। स्वामी चिदानंद सरस्वती मुनि ने गंगा संरक्षण के लिए सरकारों से प्रयास और जनता से कारसेवा की अपील की। उन्होंने कहा कि गोमुख से गंगा सागर तक प्रत्येक पांच सौ मीटर पर दो-दो गंगा सेवकों की तैनाती करने की सलाह दी। दिन भर चले मंथन के बाद निर्णय लिया गया कि गंगा एक्शन परिवार अपर गंगा को विश्व धरोहर बनाने के लिए उत्तराखंड सरकार व भारत सरकार के माध्यम से यूनेस्को को एक ठोस प्रस्ताव भेजेगा।
चर्चा में वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जियोलॉजी के निदेशक डॉ. अनिल गुप्ता, टैक्सॉस विवि के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. पंकज जैन, एएसआइ के डॉ. अतुल कुमार भार्गव, आइआइटी रुड़की के पूर्व पर्यावरण प्रो. डॉ. डीएस भार्गव, एफआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. आरके आचार्य, सर्वे ऑफ इंडिया के वैज्ञानिक डा. एएन शुक्ल, ग्लोबल ग्रींस के अध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव आदि शामिल थे।
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