टीम इंडिया की जंग में अब मिसेज धौनी भी शामिल
टीम इंडिया में चल रही कलह उभर कर सामने आ गई है। खिलाड़ी तो खिलाड़ी उनके घरवाले भी मैदान-ए-जंग में कूद पड़े हैं। कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की पत्नी साक्षी ने धौनी विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके लिए उन्होंने सबसे बेहतर प्लेटफार्म यानी सोशल नेटवर्किग साइट का सहारा लिया। साक्षी ने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोग धौनी को नीचे धकेलने की कोशिश में लगे हुए हैं।
नई दिल्ली। टीम इंडिया में चल रही कलह उभर कर सामने आ गई है। खिलाड़ी तो खिलाड़ी उनके घरवाले भी मैदान-ए-जंग में कूद पड़े हैं। कप्तान महेंद्र सिंह धौनी की पत्नी साक्षी ने धौनी विरोधियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके लिए उन्होंने सबसे बेहतर प्लेटफार्म यानी सोशल नेटवर्किग साइट का सहारा लिया। साक्षी ने ट्वीट कर कहा कि कुछ लोग धौनी को नीचे धकेलने की कोशिश में लगे हुए हैं।
हालांकि उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा किन लोगों की ओर है यह अब किसी से छुपा नहीं रह गया है। वीरेंद्र सहवाग के बाद सचिन तेंदुलकर और गौतम गंभीर भी जब धौनी की हिट लिस्ट में शामिल होते दिखे तो मामले ने जमकर तूल पकड़ा। तेंदुलकर अब तक चुप हैं, लेकिन धौनी, सहवाग और गंभीर के सार्वजनिक बयानों ने टीम इंडिया के अंदर चल रही खेमेबाजी और कलह की अटकलों को पुख्ता करने में कसर नहीं छोड़ी। केवल सचिन, सहवाग और गंभीर को एक-एक मैच में बाहर बैठाने की धौनी की नीति ने कप्तान की नीयत पर सवालिया निशान लगाए।
धौनी ने इस आधार पर टीम में तीन शीर्ष बल्लेबाजों को रोटेट करने की प्रणाली का बचाव किया था कि वे क्षेत्ररक्षण में धीमे हैं, लेकिन मंगलवार को श्रीलंका के खिलाफ मैच हारने के बाद सहवाग ने यह कहकर इस मुद्दे को नया मोड़ दे दिया कि सीनियर खिलाडि़यों को कभी नहीं बताया गया कि क्षेत्ररक्षण इसका कारण था। इससे पहले गंभीर ने भी मैच जल्दी खत्म नहीं करने और इसे अंतिम ओवर तक ले जाने के लिए धौनी की आलोचना की थी।
सचिन क्यों हैं चुप?
धौनी की रोटेशन नीति को चुपचाप स्वीकार करने वाले मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को अब अपनी चुप्पी तोड़नी चाहिए। वह भी तब जबकि खुद उनके वनडे करियर पर सवाल उठाए जाने लगे हैं। सहवाग ने मंगलवार को जो कहा, वह चौंकाने वाला बयान है। उनके मुताबिक धौनी या टीम प्रबंधन ने उनके अलावा सचिन और गंभीर को भी रोटेशन का कारण यह बताया था कि तीन साल बाद आस्ट्रेलिया में होने वाले विश्व कप के लिहाज से युवाओं को आस्ट्रेलियाई सरजमीं से वाकिफ होने का मौका देने के मकसद से ऐसा किया जा रहा है। ऐसे में सचिन ही सामने आकर साफ कर सकते हैं कि माजरा आखिर क्या है। रोटेशन को लेकर उनसे क्या कहा गया था। टीम में मतभेद हैं या नहीं, यह भी लोग उनके मुंह से सुनना चाहते हैं। सभी को भरोसा है कि वे सच ही बोलेंगे। उन्हें अब बोलना चाहिए। यह टीम के हित में भी होगा। नहीं तो बहुत देर हो जाएगी। मौजूदा हालात में यदि टीम तिकोनी सीरीज में बेइज्जत हो स्वदेश लौटती है, तो उसके बाद तिनकों में बिखर जाएगी। यदि सचिन नहीं बोलते हैं तो धौनी खुद स्थिति स्पष्ट करें। उनके यह बोल देने से कि वे कभी भी कप्तानी छोड़ने के लिए तैयार हैं, स्थिति साफ नहीं हो जाती।
साक्षी के ट्वीट का सच:
टूर के दौरान वह समुद्र तट पर धौनी की बाहों में बाहें डाले घूमती हुई या शॉपिंग करती हुई और या फिर दर्शकदीर्घा में बैठ मीडिया की सुर्खियों में बनी रही हैं, लेकिन टीम और खेल की बातों को लेकर इससे पहले कभी भी साक्षी ने हस्तक्षेप नहीं किया। ऐसा क्या हुआ कि इस बार सब्र का बांध टूट गया। या फिर किसी सोची-समझी रणनीति के तहत उनसे यह हस्तक्षेप कराया गया। जो बात धौनी मीडिया के सामने नहीं कह सकते थे, वह साक्षी ने ट्वीट के जरिए कह डाली। ट्वीट किया- आप [धौनी] उन लोगों की परवाह न करें, जो आपको नीचे गिराने पर तुले हुए हैं। बस इतना याद रखें कि हम सभी आप के साथ थे और हमेशा रहेंगे। ..वक्त खुद उन लोगों का मुंह बंद कर देगा..।
जाहिर है, मिसेज धौनी का इशारा आलोचकों औैर मीडिया की ओर कतई नहीं है। उन्हें पता है कि आलोचक और मीडिया केवल अपना काम करते हैं। इन्हीं ने धौनी को धुरंधर और करिश्माई कप्तान का तमगा दिया और सिर आंखों पर बैठाया। ट्वीट की टाइमिंग से पता चल जाता है कि साक्षी का इशारा किसकी ओर है। यह ट्वीट मंगलवार को सहवाग की प्रेस कांफ्रेंस के ठीक बाद आया। मीडिया अटकलें लगा रहा है कि सहवाग कप्तान बनना चाहते हैं और कुछ खिलाड़ी भी उनके साथ हैं। साक्षी कहीं इसे नीचे गिराने के रूप में तो नहीं देख रहीं।
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