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गंगा को चोटिल कर देंगे बांध

आस्था पर विज्ञान की मुहर लग गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), रुड़की के इंजीनियरों ने ही नहीं भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के विशेषज्ञों ने भी माना है कि गंगा पर बन रहे बांध इस जीवनदायिनी नदी को ही मार रहे हैं।

By Edited By: Published: Fri, 27 Jul 2012 11:34 AM (IST)Updated: Fri, 27 Jul 2012 11:34 AM (IST)
गंगा को चोटिल कर देंगे बांध

देहरादून। आस्था पर विज्ञान की मुहर लग गई है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), रुड़की के इंजीनियरों ने ही नहीं भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) के विशेषज्ञों ने भी माना है कि गंगा पर बन रहे बांध इस जीवनदायिनी नदी को ही मार रहे हैं। आइआइटी की रिपोर्ट के मुताबिक, अब तक मंजूर बांध ही गंगा को 81 फीसद तक चोटिल कर देंगे। इस रिपोर्ट को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने भी मंजूरी दे दी है।

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गंगा की अविरलता पर सुझाव देने के लिए प्रधानमंत्री की ओर से गठित अंतर मंत्रालयी समिति की गुरुवार को पहली बैठक हुई। इसमें आइआइटी रुड़की ने अपनी रिपोर्ट पेश कर बताया कि गंगा पर इस समय कुल 69 बांध प्रस्तावित हैं। अगर ये बन गए तो गंगा का 39 फीसदी हिस्सा सिर्फ झील बन कर रह जाएगा। इसी तरह 42 फीसदी का स्वरूप गंभीर रूप से बदल जाएगा। इस तरह ये बांध गंगा को 81 फीसदी तक विकृत कर सकते हैं।

वर्तमान तथ्यों के आधार पर गंगा पर पड़ने वाले बांध के प्रभाव का आकलन करते हुए भारतीय वन्यजीव संस्थान ने भी ऐसा ही माना है। अपनी रिपोर्ट में इसने मौजूदा परियोजनाओं में से 37 फीसदी को बिना किसी विचार के तुरंत रोक देने की वकालत की है, जबकि 31 प्रतिशत के बारे में इसने कहा कि इन पर नए सिरे से विचार की जरूरत है। सिर्फ 24 फीसदी परियोजनाओं को इसने जरूरी बताया है।

योजना आयोग सदस्य बीके चतुर्वेदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में विभिन्न केंद्रीय संस्थानों ने गंगा पर बन रहे बांधों को ले कर अपना आकलन पेश किया। इसमें यह भी तय हुआ कि अगली बैठक में गंगा के लिए आंदोलन कर रहे लोगों की बात सुनी जाएगी। गंगा को निर्मल और अविरल करने को लेकर स्वामी अवि मुक्तेश्वरानंद, प्रोफेसर जीडी अग्रवाल, डॉ. आरएन सिंह, परितोष त्यागी और भरत झुनझुनवाला के विचार, उपाय और तर्क सुने जाएंगे।

बैठक के दौरान एक उप समिति गठित कर उसे गंगा पर प्रस्तावित 69 परियोजनाओं की वर्तमान स्थिति बताने की जिम्मेवारी भी सौंपी गई। इसे दस दिन का समय दिया गया है। गुरुवार की बैठक में ऊर्जा मंत्रालय, वन व पर्यावरण मंत्रालय और जल संसाधन मंत्रालय सहित विभिन्न केंद्रीय एजेंसियों के आला अधिकारी मौजूद थे। इनके अलावा विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की प्रमुख सुनीता नारायण और तरुण भारत संघ के राजेंद्र सिंह भी उपस्थित रहे।

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