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आसुरी प्रवृति नाश का कारण है

प्रख्यात भागवत कथावाचक आचार्य सुंदरमणी शास्त्री ने कहा कि मानव में आसुरी प्रवृत्ति ही नाश का कारण बनती है। यह आसुरी भाव पूरे वंश के नाश का कारण बन जाता है।

By Edited By: Published: Fri, 24 Aug 2012 10:14 AM (IST)Updated: Fri, 24 Aug 2012 10:14 AM (IST)
आसुरी प्रवृति नाश का कारण है

ऋषिकेश। प्रख्यात भागवत कथावाचक आचार्य सुंदरमणी शास्त्री ने कहा कि मानव में आसुरी प्रवृत्ति ही नाश का कारण बनती है। यह आसुरी भाव पूरे वंश के नाश का कारण बन जाता है।

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सोमेश्वर नगर स्थित बाला शिव मंदिर में आयोजित शिव महापुराण में कथा मर्मज्ञ आचार्य सुंदरमणी शास्त्री महाराज ने शिव महिमा का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि कलियुग में शिव का भक्त ही मुक्ति का मार्ग पा सकता है। उन्होंने कहा कि आसुरी प्रवृत्ति को जितनी जल्दी हो त्याग कर देना चाहिए। आसुरी प्रवृति का वास मनुष्य के पूरे वंश का ही नाश कर देती है। कथा के नौवें दिन मां भगवती के प्रसंग का वाचन करते हुए उन्होंने कहा कि हिमालय की भूमि पर मां भगवती ने जन्म लिया। यह भूमि शक्ति पीठों की भूमि है। उन्होंने कहा कि जिस समाज में नारी का अपमान किया जाता है वह समाज कभी भी तरक्की नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि शिव और शक्ति का जन्म ही आसुरी प्रवृति के नाश के लिए हुआ है। कथा में पं. विपिन लस्याल, अखिलेश नौटियाल, आरती, भगत राम भट्ट, गीता पुरी, प्यारेलाल

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