प्रदोष व्रत काअनूठा संयोग
सावन के अंतिम सोमवार को पूर्वाह्न 1.57 बजे शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि लग रही है। यह मंगलवार को पूर्वाह्न 11.50 बजे तक रहेगी। सोमवार को प्रदोष काल में त्रयोदशी का मान होने से प्रदोष व्रत का अनूठा संयोग बन रहा है।
सावन के अंतिम सोमवार को पूर्वाह्न 1.57 बजे शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि लग रही है। यह मंगलवार को पूर्वाह्न 11.50 बजे तक रहेगी। सोमवार को प्रदोष काल में त्रयोदशी का मान होने से प्रदोष व्रत का अनूठा संयोग बन रहा है। श्रावण मास, सोमवार और त्रयोदशी तिथि का अनुपम संयोग वर्षो बाद हो रहा है।
हालांकि, प्रदोषकाल सूर्यास्त से 48 मिनट तक माना जाता है। इस अवधि में अपने आराध्य देवी-देव के पूजनोपरांत व्रत संकल्प लेना चाहिए। इसे महिला-पुरुष दोनों रख सकते हैं। ज्योतिर्विदों के अनुसार इस व्रत में पूरे दिन निराहार व निर्जल रहने का विधान है। सायंकाल पुन: स्नान और श्वेत वस्त्र धारण कर पूर्व या उत्तराभिमुख होकर भगवान शिव की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। प्रदोष स्त्रोत का पाठ और प्रदोष कथा का श्रवण लाभकारी माना जाता है। व्रती को मस्तक पर भस्म, तिलक व रूद्राक्ष धारण कर पूजन करना चाहिए। प्रदोष काल में भगवान शिव का विधि विधान पूर्वक पूजा करके बिल्व पत्र, धतूरा, ऋतुफल, भस्म, नैवेद्य आदि अर्पित करने से अभीष्ट की प्राप्ति की जाती है। मान्यता है कि इस विशेष काल में भगवान शिव के विग्रह के दर्शन मात्र से भौतिक, सुख -समृद्धि, खुशहाली व अलौकिक शांति मिलती है। राशि अनुसार आराधना का विधान ज्योर्तिविद विमल जैन के अनुसार राशि के अनुसार निम्न प्रकार पूजन करने से भक्तों को आशातीत लाभ हो सकता है।
मेष- गुलाल से करें शिवपूजन व ऊॅं ममलेश्वराय नम: मंत्र का जाप।
वृषभ: भगवान शिव का दुग्धाभिषेक, ऊॅं नागेश्वराय नम: मंत्र का जाप।
मिथुन: भगवान शिव का गन्ने के रस से अभिषेक, ऊॅं भूतेश्वराय नम: का जाप।
कर्क- शिवजी का पंचामृत से अभिषेक, महादेव के द्वादश नामों का स्मरण।
सिंह- शिवजी का शहद से अभिषेक, ऊॅं नम: शिवाय मंत्र का जाप।
कन्या- शिवजी का गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक, शिवचाली का पाठ।
तुला- शिवजी का दही से अभिषेक, शिवाष्टक का पाठ।
वृश्चिक- शिवजी का दूध-घी से अभिषेक, ऊॅं अंगारेश्वराय नम- का जाप।
धनु- शिवजी का दुग्धाभिषेक, ऊॅं रामेश्वराय नम: मंत्र का जाप।
मकर- शिवजी का अनार के रस से अभिषेक, शिवसहस्त्रनाम का जाप।
कुंभ- शिवजी का दूध, दही, शहद, शक्कर, घी से अलग-अलग अभिषेक साथ में कुंभ नम: शिवाय मंत्र का जाप।
मीन- भगवान शिव का ऋतुफल से अभिषेक, ऊॅं भौमेश्वराय नम: का जाप।
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