निर्मल गंगोत्री मेगासर्किट पर काम शुरू
भागीरथी के उद्गम स्थल और देवभूमि के चार पवित्र धामों में से एक गंगोत्री धाम को इको-टूरिज्म के लिहाज से विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है।
देहरादून। भागीरथी के उद्गम स्थल और देवभूमि के चार पवित्र धामों में से एक गंगोत्री धाम को इको-टूरिज्म के लिहाज से विकसित करने की दिशा में राज्य सरकार ने कवायद शुरू कर दी है। इसके लिए केंद्र सरकार से स्वीकृत 50 करोड़ रुपये लागत के निर्मल गंगोत्री मेगा-सर्किट योजना पर काम शुरू कर दिया गया है। पर्यटन व तीर्थाटन के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण इस प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग स्वयं प्रमुख सचिव पर्यटन कर रहे हैं। राज्य को यह योजना दो वर्ष में पूरी करनी हैं, लेकिन गंगोत्री में करीब 200 दुकानों की शिफ्टिंग में पेश आ रही पेचीदगी राह में रोड़ा अटका रही हैं।
देवभूमि उत्तराखंड के पवित्र गंगोत्री धाम को इको-टूरिज्म के लिहाज से विकसित करने के लिए नवंबर 2011 में केंद्र सरकार ने 50 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। पहली किश्त के रूप में राज्य को 25 करोड़ रुपये भी आवंटित किया जा चुके हैं। शासन ने निर्मल गंगोत्री मेगा सर्किट को धरातल पर उतारने का जिम्मा उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद को सौंपा है। साथ ही, प्रथम चरण में लंका और भैरोंघाटी में पुराने पर्यटक आवास गृहों के स्थान पर नए आवास गृहों व पार्किंग का निर्माण शुरू किया जा रहा है।
हर्षिल हैलीपैड के पास इको लॉज के साथ ही गंगोत्री मंदिर परिसर व मुख्यद्वार पर भी सुधारीकरण का कार्य किया जाना है। गंगोत्री में करीब 200 दुकानों की शिफ्टिंग में सबसे ज्यादा मुश्किलें पेश आ रही हैं। व्यापारियों व पंडा समिति के बीच आपसी सहमति बनाना सबसे बड़ी चुनौती है। शासन ने पर्यटन विकास परिषद को इस मामले में जल्द सहमति बनाकर कार्य प्रारंभ करने के निर्देश दिए हैं।
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