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बेसब्री के बाद चांद का दीदार, ईद आज

.आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार था। बात ईद के चांद की हो रही है जिसका दीदार मगरिब की नमाज के बाद ही हो गया। फिर क्या था लोग खुशी में झूम उठे और गले लगकर एक-दूसरे को ईद की बधाइयां देनी शुरू कर दी। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जश्न का माहौल था।

By Edited By: Published: Mon, 20 Aug 2012 01:12 PM (IST)Updated: Mon, 20 Aug 2012 01:12 PM (IST)

इलाहाबाद। .आखिर वो घड़ी आ ही गई जिसका लोगों को बेसब्री से इंतजार था। बात ईद के चांद की हो रही है जिसका दीदार मगरिब की नमाज के बाद ही हो गया। फिर क्या था लोग खुशी में झूम उठे और गले लगकर एक-दूसरे को ईद की बधाइयां देनी शुरू कर दी। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में जश्न का माहौल था।

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शाम होते ही लोगों की निगाहें आसमान की ओर ही थीं। क्या बुजुर्ग, क्या नौजवान, क्या बच्चे और महिलाएं सभी को बस यही फिक्र थी कि अभी चांद नहीं दिखा। बार-बार सीढि़यों से चढ़कर बच्चे छत पर पहुंचते तो किसी ने चांद देखने के लिए दूरबीन का भी सहारा लिया। चांद देखने की बात एक-दूसरे से होते हुए अन्य तक पहुंची। इसके लिए मोबाइल फोन का भी जमकर प्रयोग हुआ। खुले मौसम की वजह से आसानी से चांद का दीदार हुआ। लोग सड़कों पर निकल आए और एक-दूसरे से गले लग ईद की मुबारकबाद दी।

शहर काजी ने दी ईद की मुबारकबाद-

चांद दिखने के बाद शहर काजी मुफ्ती शफीक अहमद शरीफी ने सभी को ईद की मुबारकबाद देते हुए इसको सादगी और शरीयत के मुताबिक मनाने की अपील की। साथ ही लोगों से अफवाह पर ध्यान न देने और सौहार्दपूर्ण माहौल में ईद की खुशियां मनाने, दिखावा न करने, गरीबों में जकात बांटने और उनकी मदद करने को कहा।

बसों और ट्रेनों में गई ईद की भीड़-

ईद मनाने के लिए घर जाने वालों के चलते रविवार को जंक्शन से कई ट्रेनें ठसाठस भरकर रवाना हुई। शाम वाली ट्रेनों में भीड़ कुछ ज्यादा ही रही। यही हाल बसों का भी रहा। तीन बजे के बाद वाली बसें मुसाफिरों से ठसाठस भरकर गई। जनपद के आसपास के क्षेत्र से बडे़ पैमाने पर लोग नौकरी करने रोजाना शहर आते हैं। इसके अलावा कानपुर, फतेहपुर, मीरजापुर, वाराणसी, जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, आजमगढ़, रीवां, कौशांबी और लखनऊ आदि जिलों के तमाम मुस्लिम भाई शहर के विभिन्न क्षेत्रों में रहते हैं। रविवार शाम वे ट्रेनों और बसों से ईद मनाने के लिए अपने घर के लिए रवाना हुए जिसके चलते वाराणसी, दिल्ली, लखनऊ, मुगलसराय की ओर जाने वाली तमाम ट्रेनें ठसाठस भरकर रवाना हुई। बसों से भी लोग घर के लिए रवाना हुए। जीरोरोड, सिविल लाइंस, लीडर रोड से दोपहर तीन बजे के बाद रवाना होने वाली बसें भरकर गई। वाराणसी, लखनऊ, रीवां, प्रतापगढ़, कौशांबी और फतेहपुर की ओर जाने वाली बसों में तिल रखने की जगह नहीं थी।

देर रात तक खूब हुई खरीदारी-

चांद रात में पुराने शहर में सारी रात रौनक रही। चौक, घंटाघर, जानसेनगंज, रोशनबाग, कोतवाली, नखासकोहना आदि इलाकों की दुकानों में देर रात तक खरीदारी हुई। कटरा में भी गुलजार था। पिछले दो दिनों से प्रभावित कारोबार पर चांद रात भारी पड़ी। तीन दिन की खरीदारी इस दिन पूरी की गई। बाजार में भीड़ का आलम यह रहा कि वहां पैर रखने की भी जगह नहीं थी। खरीदारी पर महंगाई का भी असर दिखा।

बनारसी, महीन व मोटी सेंवई की रही मांग-

चौक, नुरुल्ला रोड और कोतवाली समेत विभिन्न क्षेत्रों में सजी सेंवई की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ रही। इस दौरान बनारसी, मोटी और महीन सेंवई की अधिक मांग रही। इसकी बिक्री में कीमत का विशेष ध्यान नहीं दिया गया। दुकानदारों को बस दो दिनों में स्टाक को समाप्त भी करना था।

रेडीरेड का रहा क्रेज-

बदलते युग के साथ युवाओं में अब रेडीमेड गारर्मेट्स का क्रेज बढ़ा है। इसका असर बाजारों में दिखा। मुख्य बाजार की दुकानों पर भारी भीड़ तो थी ही शहर के अन्य इलाकों में भी जबरदस्त बिक्री हुई। चौक, घंटाघर आदि क्षेत्रों में फुटपाथों पर भी कुर्ता-पायजामा, टोपी और शेरवानी की मांग की गई।

फुटवियर की कई किस्में-

तरह-तरह के फुटवियर भी बाजारों में उपलब्ध थे। दुकानों के अलावा सड़कों के किनारे भी रंग-बिरंगे आइटमों की धूम रही। सर्वाधिक उत्साह युवाओं में दिखा। चौक क्षेत्र में इन दुकानों पर देर रात तक बिक्री हुई।

ड्राई फ्रूट्स की दुकानों पर धूम-

ईद की पूर्व संध्या पर मेवे की भी खूब बिक्त्री हुई। महंगाई की सबसे अधिक मार सूखे मेवे पर ही दिखी। गिफ्ट देने व मेहमानों के स्वागत के लिए किशमिश, काजू, बादाम, अखरोट आदि के आकर्षक पैक दुकानों पर उपलब्ध थे।

रसोई से खुशबू-

त्योहारों की रौनक का रास्ता रसोई से होकर गुजरता है। ईद का चांद नजर आते ही रसोई में चहल-पहल बढ़ना स्वाभाविक है। साल भर बाद नजर आए ईद के चांद का दीदार और फिर शानदार दावत ही त्योहार की रौनक है।

रविवार देर शाम ज्यों ही ईद का चांद नजर आया घर की महिलाओं के कदम खुद-ब-खुद रसोई की ओर बढ़ चले। त्योहारों की रौनक रसोई में खिलती है। राजापुर में रहने वाली स्वालेहा बताती हैं कि ईद के दिन मेहमान को परंपरागत पकवानों के साथ-साथ नया पकवान भी पेश किया जाता है। करेली की आसमां, सोहा व आबिद मेहमाननवाजी के लिए रसोई में पकवान बनाने में जुट गए हैं।

लजी़ज व्यंजनों की रौनक

सेवईयां, कोरमा, शाही टुकड़ा, गुलाब जामुन, देशी घी में फ्राई नमकीन ड्राई फ्रूट, सेव व मूंगफली की नमकीन व दालमोठ, छोले, पकौडि़यों के अलावा बिरयानी, सींक कबाब, सामी कबाब आदि मांसाहारी पकवान मेहमानों को पेश की जाती हैं।

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