गंगापुत्रों ने तैयार की अनोखी राखी
साल में एक बार बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है। प्रयाग की भूमि एवं कुंभपर्व पर भी अनोखी राखी बनी, जो न तो बहन ने बाजार से खरीदी न ही भाई की कलाई में बांधा। इस अनोखी राखी को न सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिम, सिख एवं इसाई समुदाय की महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर अपने हाथों से तैयार की।
कुंभनगर। साल में एक बार बहन अपने भाई की कलाई में राखी बांधती है। प्रयाग की भूमि एवं कुंभपर्व पर भी अनोखी राखी बनी, जो न तो बहन ने बाजार से खरीदी न ही भाई की कलाई में बांधा। इस अनोखी राखी को न सिर्फ हिंदू, बल्कि मुस्लिम, सिख एवं इसाई समुदाय की महिलाओं और पुरुषों ने मिलकर अपने हाथों से तैयार की।
लगभग पांच माह की कठिन परिश्रम के बाद 25 स्क्वायर फीट की गोलाकार में बनी राखी का मकसद मां गंगा की रक्षा करना था। आमोद श्रीवास्तव की ओर से धार्मिक एकता के लिए की गई अनोखी पहल में हर समुदाय के लोग शामिल हुए। इसमें हिंदुओं का मंदिर, मुस्लिमों की मस्जिद, सिखों का गुरुद्वारा एवं इसाई धर्म का पूजाघर चर्च का चित्र लगाया गया।
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