मंदिर के घाटों से यमुना रक्षा का शंखनाद
सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार के दलदल के समाने के बाद यमुना की रक्षा को एक बार फिर आस्था की लहरें उठी हैं। आगरा में यमुना तट के मंदिरों से नई मुहिम शुरू हुई है। यहां साधु, संत और वृद्ध पूजन सामग्री इकट्ठी कर रहे हैं।
आगरा। सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार के दलदल के समाने के बाद यमुना की रक्षा को एक बार फिर आस्था की लहरें उठी हैं। आगरा में यमुना तट के मंदिरों से नई मुहिम शुरू हुई है। यहां साधु, संत और वृद्ध पूजन सामग्री इकट्ठी कर रहे हैं। उसे यमुना में डालने की बजाए कुछ गढ्डों में डाल कर खाद बनाने का काम शुरू हो गया है।
वृंदावन से हजारों संतों ने हुंकार भरी और पिछले दिनों दिल्ली तक पदयात्रा निकाली। अब इसी तरह आगरा में भी आस्था से जुड़ी मुहिम शुरू हुई है। शहर के कुछ समाजसेवियों ने वन विभाग के साथ यमुना रक्षा के लिए नई योजना बनाई है। यमुना तट पर स्थित राजेश्वर मंदिर, बल्केश्वर मंदिर और कैलाश मंदिर के आसपास गढ्डे खुदवाए गए हैं। कुछ गढ्डे वन विभाग की अन्य भूमि पर भी बनाए गए हैं। मंदिरों पर जो भी व्यक्ति पूजन सामग्री लेकर आएंगे, उन्हें साधु-संत समझाएंगे कि यह सामग्री यमुना में न डालें। वह सामग्री इकट्ठी गढ्डों में डालकर खाद बनाई जाएगी। यह प्रक्त्रिया शुरू भी हो चुकी है।
कैलाश घाट पर बैठेंगे वृद्ध
इस मुहिम से रामलाल वृद्धाश्रम के वृद्ध भी जुड़ गए हैं। अब आश्रम के वृद्ध घाट पर बैठ कर पूजन सामग्री एकत्रित कर गढ्डे में डालेंगे। पर्यावरण संरक्षण की इस मुहिम में मन:कामेश्वर मंदिर के महंत योगेश पुरी, जिला वन अधिकारी एनके जानू, गायत्री बिल्डर्स के हरिओम दीक्षित, रामलाल वृद्धाश्रम के अध्यक्ष शिवप्रसाद शर्मा के अलावा शहर के कई लोग जुड़े हैं।
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