मां लक्ष्मी की उपासना का पर्व सोरहिया कल से
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि तद्नुसार 22 सितंबर से लक्सा स्थित लक्ष्मीकुंड का सोरहिया मेला शुरू हो रहा है। यह उत्सव भी काशी के लक्खी मेला में शुमार है।
वाराणसी। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि तद्नुसार 22 सितंबर से लक्सा स्थित लक्ष्मीकुंड का सोरहिया मेला शुरू हो रहा है। यह उत्सव भी काशी के लक्खी मेला में शुमार है। इसमें अर्थ की अधिष्ठात्री भगवती मां लक्ष्मी का उपासना का विशेष आराधना की जाती है। उनकी प्रसन्नता के लिए धर्मशास्त्र में सोलह दिवसीय अनुष्ठान का प्राविधान है, जिसे सोरहिया मेला के नाम से जाना जाता है। शास्त्रों में मां लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए अश्रि्वन कृष्ण अष्टमी तक भगवती लक्ष्मी की उपासना महत्व बताया गया है। इसमें खासकर काशी के सिद्धपीठों में शामिल लक्ष्मीकुंड पर महालक्ष्मी की आराधना का विशेष महत्व है। इस सोलह दिन की अवधि में महिलाएं लक्ष्मीकुंड पर भगवती का दर्शन-पूजन करती हैं। प्रथम दिन सोलह ग्रंथी युक्त पीतवर्ण का धागा बाएं हाथ में तथा पुरुष दाहिने हाथ में बांध कर लक्ष्मी कथा का श्रवण व व्रत का 16 दिनों तक पालन करते हैं। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार अष्टमी तिथि 22 सितंबर को शाम 5.14 से लग रही है जो 23 को दिन में 2.58 बजे तक रहेगी।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर