नागाओं को सागर हाथी
नागा संन्यासियों की नगर पेशवाई के दौरान झूमता हाथी जूना अखाड़े को कुंभ में मिला। इसे किसी भक्त की ओर से दान किया गया। उसे संन्यासियों ने सागर नाम दिया। पेशवाई के लिए उसे रच रच कर सजाया गया।
वाराणसी। नागा संन्यासियों की नगर पेशवाई के दौरान झूमता हाथी जूना अखाड़े को कुंभ में मिला। इसे किसी भक्त की ओर से दान किया गया। उसे संन्यासियों ने सागर नाम दिया। पेशवाई के लिए उसे रच रच कर सजाया गया।
यही नहीं पेशवाई के दौरान ही हाथी एक और कारण से चर्चा में रहा। अर्धकुंभ के बाद छह वर्ष पहले निकली पेशवाई में हाथी के पैरों तले आने से कोठारी महंत भास्करानंद की मौत हो गई थी। जुलूस देखने के लिए जुटे लोगों के जेहन में एक बार फिर वह वाकया ताजा हो उठा। जपेश्वर मठ में जुलूस पहुंचने पर लोगों ने उनकी समाधि पर शीश झुकाए। समाधि स्वामी भास्करानंद के शिष्य ने बनवाई है। पेशवाई के लिए विभिन्न स्थानों पर रास्ता रोके जाने से जाम लग गया। जुलूस आगे बढ़ने के बाद भी लोग जाम से जूझते रहे।
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