मथुरा-वृंदावन से मंगाए गए लड्डू गोपाल के वस्त्र
लड्डू गोपाल इस जन्माष्टमी में जरी, मोती, गोटे, लेस लगे सिंथेटिक व कॉटन कपड़े पहनेंगे। लकड़ी व पीतल के पालने में बैठाकर नंदलाल को मुकुट, मोरपंख और हार पहनाने की भी तैयारी है।
इलाहाबाद। लड्डू गोपाल इस जन्माष्टमी में जरी, मोती, गोटे, लेस लगे सिंथेटिक व कॉटन कपड़े पहनेंगे। लकड़ी व पीतल के पालने में बैठाकर नंदलाल को मुकुट, मोरपंख और हार पहनाने की भी तैयारी है।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की तैयारियों की इन दिनों धूम मची है। जहां एक ओर झांकियां सज रही हैं और मंदिरों, मठों को सजाया जा रहा है। हाईटेक युग में भगवान कृष्ण को सजाने के लिए तरह-तरह के आकर्षक वस्त्र और आभूषण दुकानों पर सज गए हैं।
व्यवसाई नवीन श्रीवास्तव बताते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को सजाने के लिए वस्त्र मथुरा व वृंदावन से मंगाया जाता है। छोटी-बड़ी मूर्तियों को ध्यान में रखकर रेडीमेड आइटम उपलब्ध हैं। कान्हा के सजावटी वस्तुओं पर भी महंगाई की मार है। पिछले वर्ष की तुलना में इस बार 20 प्रतिशत तक इनके मूल्य बढ़े हैं। व्यवसाई शुभ बताते हैं कि जन्माष्टमी पर पहले तो सिर्फ चौक व एकाध अन्य क्षेत्रों के बाजार में ही सजावटी आइटम उपलब्ध थे, लेकिन पिछले कुछ वर्षो में चौक के अलावा कटरा, कोठापारचा, अलोपीबाग आदि क्षेत्रों में भी दुकानें लगने लगी हैं। वहीं कुंवर जी की मानें तो पिछले कुछ वर्षो में जन्माष्टमी का क्त्रेज बढ़ा है।
व्रत रखने व पूजन-अर्चन के साथ अब इसे लोग विशेष आयोजन के रूप में मनाने लगे हैं। यानी झांकियों को आधुनिक रूप दिया जाने लगा है। इससे सजावटी वस्तुओं की भी डिमांड काफी बढ़ गई है। अनिल और वंशीलाल का कहना है कि भगवान के पीतांबर वस्त्र, माला, मुकुट, हार, मोरपंख व रंग-बिरंगे और भी ढेरों आइटम लोगों की पसंद बने हैं।
वस्त्र पांच रुपये से लेकर दो सौ रुपये तक में बिक रहे हैं जबकि लकड़ी के पालने 25-30 रुपये में और पीतल के पालने 250 रुपये में उपलब्ध हैं।
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