राधिकानंद एवं धर्मेद्र पुरी महामंडलेश्र्र्वर बने
जूना अखाड़े ने मंगलवार को दो साधकों को महामंडलेश्वर की पदवी दी। इसमें एक महिला साध्वी हैं। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने वैदिक रीति से पट्टाभिषेक किया।
कुंभनगर। जूना अखाड़े ने मंगलवार को दो साधकों को महामंडलेश्वर की पदवी दी। इसमें एक महिला साध्वी हैं। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने वैदिक रीति से पट्टाभिषेक किया। अखाड़े ने आज मौजगिरि बाबा मंदिर में पट्टाभिषेक कार्यक्रम का आयोजन किया। पूर्वाह्न 10 बजे विभिन्न धातुओं से बने त्रिशूल को प्रतिष्ठित करने कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। अखाड़े के महामंत्री महंत इंदर गिरि ने त्रिशूल को वैदिक मंत्रोच्चार के बीच स्थापित कराया। बाद में महिला साध्वी राधिकानंद सरस्वती एवं स्वामी धर्मेन्द पुरी का पट्टाभिषेक कार्यक्त्रम शुरू हुआ। आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि ने दोनों साधकों को पवित्र जल से स्नान कराया। इनका मुंडन संस्कार हुआ। फिर हवन आदि के बाद तिलक लगाया। फिर उन्हें चादर ओढ़ाई गई। अखाड़े के सचिव महंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि साध्वी राधिकानंद सरस्वती मुंबई के माटुंगा स्थित ज्ञानेश्र्र्वर मठ की संचालिका हैं। महामंडलेश्वर शंकरानंद सरस्वती की वे शिष्या हैं। इसी प्रकार धर्मेन्द्र पुरी कैवलेश्र्र्वर मठ इंदौर से संबंधित हैं। 500 अवधूत और बने संन्यासी- जूना अखाड़े में मंगलवार को 500 और अवधूत संन्यासी बने हैं। गंगा तट पर दिन भर दीक्षा कार्यक्रम चला। अखाड़े के सचिव महंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि अब तक अखाड़े में 3200 अवधूत संन्यासी बन चुके हैं। आज बनेंगी महिला संन्यासी- जूना अखाड़े में बुधवार को महिला संन्यासी बनेंगी। इनकी संख्या अभी स्पष्ट रूप से नहीं बताई गई है। अखाड़े के सचिव महंत विद्यानंद सरस्वती ने बताया कि गंगा तट पर पंडाल का बाड़ा बना दिया गया है। जिस प्रक्रिया से पुरुष अवधूत संन्यासी बने हैं उसी प्रक्रिया से महिलाओं को भी पिंडदान करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि यह महिला संन्यासी वस्त्र में रहेंगी। महिला संन्यासी नागा नहीं बनती हैं।
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