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तुलसी के जन्मस्थान को लेकर बढ़ा विवाद

महाकाव्य रामचरित मानस के रचयिता संत तुलसीदास के जन्म स्थान पर मुद्दत से जमी विवादों की बर्फ तर्को, साक्ष्यों की गर्माहट के बावजूद भी नहीं पिघली। तुलसी सोरों में जन्मे या बांदा के राजापुर में इस बात को लेकर मतभेदों की बरात रही है। कोई भी साबित नहीं कर सका है कि आखिर महान साहित्कार का जन्म कहां हुआ, सोरों या राजापुर में।

By Edited By: Published: Mon, 10 Dec 2012 01:38 PM (IST)Updated: Mon, 10 Dec 2012 01:38 PM (IST)

एटा। महाकाव्य रामचरित मानस के रचयिता संत तुलसीदास के जन्म स्थान पर मुद्दत से जमी विवादों की बर्फ तर्को, साक्ष्यों की गर्माहट के बावजूद भी नहीं पिघली। तुलसी सोरों में जन्मे या बांदा के राजापुर में इस बात को लेकर मतभेदों की बरात रही है। कोई भी साबित नहीं कर सका है कि आखिर महान साहित्कार का जन्म कहां हुआ, सोरों या राजापुर में। इतिहासकार और विशेषज्ञों की राय भी दोनों के बीच विभाजित रही हैं। अब अचानक यह फिर सामने आ गयी है।

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विवाद में दबी इतिहास की रेखाओं को ताजा हवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के एक प्रस्ताव से मिली है। इसमें प्रदेश सरकार ने गोंडा की तुलसी जयंती महोत्सव समिति को 20 लाख रुपए आवंटित किए हैं। यह धनराशि जिन लोगों को दिया गया है, वे तुलसी का जन्म स्थान राजापुर मानते हैं।

सोरों के लोगों का कहना है कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय से सोरोंवासियों की भावनाएं आहत हुई हैं। पुराने गजेटियर्स में स्पष्ट रूप से सोरों को तुलसी का जन्म स्थान बताया गया है।

इस तरह बढ़ा विवाद-

तुलसी के जन्म स्थान को लेकर छिड़े विवाद को उनकी जीवनी लिखने वाले जाने-माने सात लेखकों ने और बढ़ाया है। बेनी माधवदास, एडविन ग्रीब्स, शिवलाल पाठक और रामबल्लभाचार्य ने तुलसीदास की जन्मतिथि विक्रमी संवत् 1554 घोषित की है। इस ग्रुप ने बांदा के राजापुर में तुलसी का जन्म स्थान माना है। एक अन्य बायोग्राफी लेखक सर ज्योर्ज गिरीसन ने तुलसीदास की जन्मतिथि विक्रम संवत 1589 घोषित की है। गिरीसन के गु्रप में रामकृष्ण गोपाल भंडारकर, रामगुलाम द्विवेदी, जेम्स लोकफेल्ड, स्वामी शिवानंद जैसे इतिहासकार शामिल हैं। इसके अलावा एक अन्य गु्रप के एचएच विल्सन, ग्रास डे, कृष्णदत्त मिश्रा ने तुलसीदास की जन्मतिथि विक्रम संवत् 1600 बताई है। विल्सन का दावा है कि वे 126 वर्ष तक दुनिया में रहे।

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