यमुना बचाओ आंदोलन: हरियाणा की ना-नुकुर से अटका समझौता
यमुना मुक्तीकरण पदयात्रा के आंदोलनकारियों के साथ सहमति के बेहद करीब पहुंचने के बावजूद मंगलवार को केंद्र सरकार अंतिम समाधान तक नहीं पहुंच सकी। हालांकि देर रात तक सरकार और पदयात्रा के प्रतिनिधियों के बीच बैठक जारी रही, जिसमें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत का प्रयास रहा कि फिलहाल प्रदर्शनकारी अपनी यात्रा वापस ले लें।
नई दिल्ली। यमुना मुक्तीकरण पदयात्रा के आंदोलनकारियों के साथ सहमति के बेहद करीब पहुंचने के बावजूद मंगलवार को केंद्र सरकार अंतिम समाधान तक नहीं पहुंच सकी। हालांकि देर रात तक सरकार और पदयात्रा के प्रतिनिधियों के बीच बैठक जारी रही, जिसमें केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत का प्रयास रहा कि फिलहाल प्रदर्शनकारी अपनी यात्रा वापस ले लें। बाद में हथिनी कुंड से जल छोड़े जाने के मुद्दे पर हरियाणा से बातचीत होती रहेगी।
इसके पहले हरियाणा सरकार ने पानी नहीं छोड़ने के पक्ष में 1994 का यमुना समझौता सामने कर दिया था। दो दिनों से दिल्ली में डेरा डाले यमुना आंदोलनकारी मंगलवार को किसी फैसले के इंतजार में बेसब्री से एक-एक पल गिनते रहे। जबकि सरकार अपनी ही रफ्तार से बैठकों के सिलसिले में व्यस्त रही। केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय में दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ तीन दौर की मुलाकात हुई। मगर हरियाणा के प्रतिनिधियों ने शुरुआत में ही यमुना अकॉर्ड- 1994 का हवाला देकर साफ कह दिया कि यमुना जल को लेकर कोई भी बात इसी के तहत हो सकती है। राज्य सरकार ने अपने आंकड़े पेश कर यह भी दावा दिया कि इस समझौते के मुताबिक पानी पहले से ही छोड़ा जा रहा है।
हालांकि सूत्रों का कहना है कि राजनीतिक दखल के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा तात्कालिक रियायत के लिए राजी हो गए हैं। मगर यह उतनी नहीं है, जिससे आंदोलनकारी संतुष्ट हो सकें। इसलिए रावत ने इस बारे में कुछ भी साफ कहने की बजाय सिर्फ यही कहा- हम तीनों राज्यों के साथ बातचीत कर सहमति का फार्मूला तैयार करे हैं। यह ऐसा रास्ता है, जो आंदोलनकारियों और यमुना के प्रति स्नेह रखने वाले सभी लोगों को पसंद आएगा। दूसरी तरफ, यमुना रक्षक दल के अध्यक्ष जय कृष्ण दास सरकार के रवैये से बेहद परेशान रहे। दोपहर तीन बजे की सरकारी समय सीमा खत्म होने के बाद उनकी समस्या बढ़ गई। ऐसे में उन्होंने कहा- हमें पुलिस ने जिस तरह यहां चारों ओर से घेर लिया है। ऐसा लग रहा है जैसे हमें जेल में डाल दिया गया हो। हम संसद भवन का दर्शन नहीं करना चाहते, मगर हमें हर हाल में समाधान चाहिए।
आंधी भी नहीं डिगा पाई भगीरथों का हौसला-
केंद्र सरकार से संदेशे की आस में यमुना मुक्तीकरण पदयात्रा में शामिल यमुना भक्त मंगलवार को बदरपुर के गांव आली में डेरा डाले रहे। दोपहर आई तेज आंधी भी इन भगीरथों का हौसला नहीं डिगा पाई। आंधी ने बेशक तंबुओं को उखाड़ने की कोशिश की, लेकिन हजारों यमुना भक्तों ने ऐसा नहीं होने दिया। वहीं, यमुना रक्षक दल का कहना है कि मंगलवार रात तक मांगें नहीं मानी गई तो बुधवार सुबह रणनीति तैयार की जाएगी। इसमें जंतर-मंतर की ओर कूच करने के साथ आमरण अनशन पर विचार किया जाएगा।
सरकार द्वारा सोमवार देर रात तक चली वार्ता की जानकारी यमुना रक्षक दल के नेताओं ने मंगलवार सुबह जब यमुना भक्तों को दी, तो वे उत्साहित हो गए। इस बीच रक्षक दल के अध्यक्ष संत जय कृष्ण दास ने उन्हें बताया कि सरकार ने उनकी एक ही मांग मानी है। शेष मांगों के लिए शाम तीन बजे का समय मांगा है, इसलिए वे संसद की ओर कूच नहीं करेंगे। दोपहर तीन बजे यमुना भक्तों को बताया गया कि अभी सरकार ने शाम तक का वक्त मांगा है। इसी दौरान वहां तेज आंधी आने लगी। आंधी के कारण तंबुओं को उखड़ता देख लोगों ने एकजुट होकर उन्हें उखड़ने नहीं दिया।
दिल्ली में ब्रज की रसिया-
आली गांव के साथ लगते खाली मैदान में दो दिन से ब्रज की रसिया गाई जा रही हैं। ब्रज में कई गायन शैलियां प्रचलित हैं और रसिया ब्रज की प्राचीनतम गायकी कला है। भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला से संबंधित पद, रसिया आदि गायकी के साथ रासलीला का आयोजन होता है।
समर्थन से बढ़ रहा है उत्साह-
मंगलवार को एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष पीवी राजगोपाल ने पदयात्रियों की हौसला अफजाई की। उत्तर प्रदेश के पूर्व कृषि मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी, आगरा से भाजपा सांसद राम शंकर कठेरिया, ओखला (दिल्ली) के विधायक आसिफ मुहम्मद और राज्य सभा सदस्य दर्शन सिंह यादव समेत अन्य लोगों ने पदयात्रा को अपना समर्थन दिया।
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