उमा की हुंकार से सियासी गर्माहट
हथिनीकुंड जाना है, यमुना को मुक्त कराना है.। संकल्प और भाव वही, लेकिन माहौल बता रहा था कि यमुना पदयात्रा की भंगिमा अब बदल चुकी है। दिल्ली की ओर बढ़ रहे पदयात्रियों के बीच भाजपा की फायरब्रांड नेत्री उमा भारती ने जब यमुना मैया के जयकारे के साथ हुंकार भरी, तो यमुना भक्तों में नई ऊर्जा का संचार हो गया।
कोटवन बॉर्डर [मथुरा]। हथिनीकुंड जाना है, यमुना को मुक्त कराना है.। संकल्प और भाव वही, लेकिन माहौल बता रहा था कि यमुना पदयात्रा की भंगिमा अब बदल चुकी है। दिल्ली की ओर बढ़ रहे पदयात्रियों के बीच भाजपा की फायरब्रांड नेत्री उमा भारती ने जब यमुना मैया के जयकारे के साथ हुंकार भरी, तो यमुना भक्तों में नई ऊर्जा का संचार हो गया। नए जोश और उम्मीदों के साथ सोमवार दोपहर यमुना बचाओ पदयात्रा प्रदेश की सीमा लांघ कोटवन बॉर्डर से हरियाणा में प्रवेश कर गई।
कोसी पड़ाव पर मिली असीम आत्मीयता से गदगद पदयात्री सुबह लगभग दस बजे रवाना हुए, तो लगातार बढ़ते कदमों को किसी का इंतजार था। यह था भाजपा नेत्री उमा भारती का, जिनका संदेशा रविवार रात को ही यहां पहुंच चुका था। कोटवन बॉर्डर से महज 500-600 मीटर पहले ही करीब 12 बजे उमा पहुंचीं और संत संगत से सजे यात्रा रथ पर माइक थामकर गंगा-यमुना-गौ के जयकारे, वृंदावन बिहारी लाल और राधे-राधे के उद्घोष के साथ उद्बोधन शुरू किया। कहा कि द्वापर में भगवान कृष्ण ने एक चमत्कार कर यमुना को कालिया नाग के जहर से मुक्ति दिलाई थी। अब नालों और गंदगी के जहर से यमुना मैया को मुक्त कराने के लिए ब्रजवासियों ने दूसरे चमत्कार के लिए कदम बढ़ाया है।
आंदोलन से खुद को सीधे तौर पर जोड़ते हुए भाजपा नेत्री ने कहा कि गंगा-यमुना बहनें हैं। गंगोत्री में यमुना की प्रतिमा नजर आती है और यमुनोत्री में गंगा की। गंगा टिहरी में कैद है और यमुना हथिनीकुंड में। मैं गंगा मुक्ति आंदोलन से जुड़ी हूं और आपने यमुना मुक्ति का आंदोलन चलाया है। उन्होंने आरोप लगाया कि महाकुंभ जाने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं को स्नान के लिए गंगा-यमुना नहीं, बल्कि सहायक नदियों का पानी मिला, जो उनके साथ धोखा है। भारत की संस्कृति को गंगा-जमुनी संस्कृति कहा जाता है। हम लोगों के पाप कर्मो के चलते सरस्वती नदी विलुप्त हो चुकी है। अब गंगा-यमुना नष्ट हो गई, तो देश की पहचान ही समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि आपकी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी बात करूंगी। इसके साथ ही तमतमाते सूरज की तपिश और पदयात्रा से थके-मांदे यमुना भक्तों में नई उम्मीद, उमंग और जोश भर गया। दीदी साथ में दिल्ली चलो. की गुहार उठने लगी। फिर राधे-राधे और यमुना मैया के जयकारे लगाकर साध्वी संत विजय कौशल से भेंट करने उनके आश्रम वृंदावन रवाना हो गई। इधर, पदयात्रा कोटवन बॉर्डर पार कर अगले पड़ाव होडल (हरियाणा) रवाना हो गई। दिल्ली दरबार से लगभग सौ किमी पहले पदयात्रा में फहरी इस भाजपाई पताका से अब साफ हो गया है कि यमुना भक्तों की इस पदयात्रा से केंद्र सरकार को सियासी सिर दर्द तो पैदा होना तय है। पदयात्रियों में जोश भरते हुए साध्वी ने कहा कि यमुना आंदोलन के प्रणेता रमेश बाबा मेरे बड़े भाई हैं। इन्हीं की प्रेरणा से मैं गंगा मुक्ति आंदोलन से जुड़ी। आंदोलन में पूरी तरह साथ हूं।
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