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मंदिरों का शहर वृंदावन

कृष्ण की किशोरावस्था वृंदावन में बीती थी। यह मंदिरों का शहर है। यहां घर-घर में मंदिर है। तमाम मंदिर राज परिवारों द्वारा बनवाए गए

By Edited By: Published: Sat, 04 Aug 2012 04:24 PM (IST)Updated: Sat, 04 Aug 2012 04:24 PM (IST)
मंदिरों का शहर वृंदावन

कृष्ण की किशोरावस्था वृंदावन में बीती थी। यह मंदिरों का शहर है। यहां घर-घर में मंदिर है। तमाम मंदिर राज परिवारों द्वारा बनवाए गए हैं। इन सब मंदिरों की संख्या 5000 से भी अधिक है। ठाकुर बांके बिहारी मंदिर की वृंदावन में सर्वाधिक मान्यता है। इस मंदिर के दर्शन किए बगैर वृंदावन की यात्रा अधूरी मानी जाती है। इस मंदिर में स्थापित विग्रह को संत प्रवर स्वामी हरिदास महाराज ने संवत् 1567 की अगहन थुल्ल पंचमी को निधिवन में प्रकट किया था। पहले इस विग्रह को निधिवन में, फिर भरतपुर की महारानी द्वारा बनवाए गए मंदिर में पूजा गया। संवत् 1921 में बिहारी जी के गोस्वामियों ने बिहारीजी का नया मंदिर बनवाया, जहां पर वे इन दिनों विराजित हैं। वृंदावन के गोविंद देव मंदिर, गोपीनाथ मंदिर, मदन मोहन मंदिर, दामोदर मंदिर, राधा रमण देव मंदिर, श्याम सुंदर मंदिर व गोकुलानंद मंदिर नामक सप्त देवालयों की अत्यधिक मान्यता है। इन सभी मंदिरों की स्थापना चैतन्य महाप्रभु के आदेश पर उनके षण गोस्वामियों ने रखी थी। इन सभी मंदिरों में स्वयं प्रकट ठाकुर विग्रह विराजित हैं। मान्यताओं में दामोदर मंदिर की चार परिक्रमा को गिरिराज गोवर्धन की सप्तकोसी परिक्रमा के समकक्ष माना गया है। इसके अलावा वृंदावन में उत्तर व दक्षिण के समन्वय का प्रतीक उत्तर भारत का सबसे विशाल व भव्य रंग लक्ष्मी मंदिर, जयपुर के महाराजा सवाई माधो सिंह द्वारा बनवाया गया राधा माधव मंदिर (जयपुर वाला मंदिर) राधा वल्लभ मंदिर, कृष्ण चन्द्रमा लाला बाबू मंदिर, कात्यायनी पीठ मंदिर, इमलीतला मंदिर, तराश मंदिर, श्रृंगार वट मंदिर, मीराबाई मंदिर, कृष्ण बलराम मंदिर (अंग्रेजों वाला मंदिर) आदि प्रमुख हैं। यहां के वंशीवट स्थित गोपीश्वर महादेव मंदिर का संबंध कृष्ण द्वारा सोलह हजार एक सौ आठ गोपियों के साथ किए गए महारास से है। इस मंदिर में प्रात:काल उसी शिवलिंग को गोपी के रूप में सजा कर पूजा जाता है। श्रावण में यहां भक्त-श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सफेद संगमरमर से बना वृंदावन का शाहजी मंदिर, टेढ़े खंभे वाला मंदिर) कला की दृष्टि से उत्तर भारत का सर्वश्रेष्ठ मंदिर है। इस मंदिर के बासंती कमरे में दस-दस फुट लंबे झाड़-फानूस, मुगल कालीन सौंदर्य सामग्री, कलात्मक वस्तुएं और भित्ति चित्र आदि मौजूद हैं। यह कमरा आम दर्शकों के लिए श्रावण की त्रयोदशी व चतुर्दशी को खुलता है। इनके अलावा यहां के मदन मोहन मंदिर, पुराना गोविंद देव मंदिर, युगल किशोर मंदिर और पुराना राधा वल्लभ मंदिर पुरातत्व विभाग के संरक्षण में हैं। कृपालु महाराज द्वारा बनवाया गया प्रेम मंदिर अद्भुत व विलक्षण है। यह वृंदावन के छटीकरा रोड पर 54 एकड़ क्षेत्रफल में स्थापित है। श्वेत इटालियन करारे मार्बल पत्थर से बना यह अभूतपूर्व व ऐतिहासिक मंदिर लगभग 11 वर्षो में बन कर तैयार हुआ है। इसके अलावा वृंदावन में राधा-कृष्ण का नित्य रास स्थल- सेवाकुंज, उद्धव गोपी संवाद स्थल- ज्ञान गुदडी, टटिया स्थान- जहां आज भी वृंदावन का प्राचीन स्वरूप कायम है, यमुना का केसी घाट आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं। यमुना पार जहांगीरपुर ग्राम स्थित बेलवन में लक्ष्मी तपस्थली है। यहां लक्ष्मी का भव्य मंदिर है। पौष माह में यहां प्रत्येक गुरुवार को मेला जुड़ता है।

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