शक्तिपीठों के दर्शन से होती कामनापूर्ति
पूरी दुनिया में कुल 51 शक्तिपीठ हैं। इनमें से 41 भारत में, चार बांग्लादेश में, तीन नेपाल में, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत में एक-एक हैं। हर शक्तिपीठ का अपना महत्व है। इन्हीं शक्तिपीठों की विस्तृत जानकारी देने के लिए दो दिवसीय संगोष्ठी पर्यटन भवन में रविवार से शुरू हुई। संगोष्ठी अयोध्या शोध संस्थान द्वारा आयोजित है।
लखनऊ, जागरण संवाददाता। पूरी दुनिया में कुल 51 शक्तिपीठ हैं। इनमें से 41 भारत में, चार बांग्लादेश में, तीन नेपाल में, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत में एक-एक हैं। हर शक्तिपीठ का अपना महत्व है। इन्हीं शक्तिपीठों की विस्तृत जानकारी देने के लिए दो दिवसीय संगोष्ठी पर्यटन भवन में रविवार से शुरू हुई। संगोष्ठी अयोध्या शोध संस्थान द्वारा आयोजित है।
बीएचयू के सांस्कृतिक भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. पीवी सिंह राणा ने कहा कि देवताओं के अनुरोध पर भगवान विष्णु ने सती के शव को खंड-खंड कर दिया। भगवती के ये चिन्मय अंग 51 स्थानों पर गिरे, जो 51 सिद्ध शक्तिपीठ बन गए। मान्यता है कि भगवान विष्णु के सुदर्शन चक्र से कटकर सती के विभिन्न अंग जहां गिरे वहां एक शक्ति एवं एक भैरव विराजमान हो गए। ऋतशील शर्मा ने कहा कि आस्तिकों का विश्वास है कि शक्तिपीठों के दर्शन, सेवन से विविध कामनाओं की पूर्ति होती है।
संगोष्ठी में संयुक्त निदेशक महिला कल्याण एसके सिंह, लखनऊ विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो.एसपी दीक्षित, भारतीय रेल परिवहन एवं प्रबंधन संस्थान के डीन अजय प्रताप सिंह, विभागाध्यक्ष, लोक प्रशासन एवं पर्यटन विभाग प्रो. मनोज दीक्षित और स्वामी राम सजीवनदास जी महाराज समेत कई लोगों ने विचार व्यक्त किए।
शक्तिपीठ: मां हिंगलाज (पाकिस्तान), मां शर्करार (महाराष्ट्र), मां सुनंदा, मां महामाया (कश्मीर), मां सिद्धिदा (हिमाचल प्रदेश), मां त्रिपुर मालिनी (पंजाब), मां जयदुर्गा (बिहार), मां महामाया (नेपाल), मां दाक्षायणी (तिब्बत), मां विमला (उड़ीसा), मां गण्डकी (नेपाल), मां बहुला देवी (पश्चिम बंगाल), मां मांगल्य चंडिका (उज्जैन), मां त्रिपुर सुंदरी (त्रिपुरा), मां भवानी (बांग्लादेश) और मां भ्रामरी (बांग्लादेश)..।
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