कुंभनगरी में गूंजा हर-हर महादेव का उद्घोष
एक पखवाड़े की खामोशी के बाद गुरुवार को महाकुंभ क्षेत्र में एक बार फिर अखाड़ों की दुदुंभि बजी। ह
इलाहाबाद। एक पखवाड़े की खामोशी के बाद गुरुवार को महाकुंभ क्षेत्र में एक बार फिर अखाड़ों की दुदुंभि बजी। हर-हर महादेव के आसमान छूते उद्घोष के साथ श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने पेशवाई निकाल कुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया। भगवान कपिलमुनि के नेतृत्व में बैंडबाजा, ध्वज-पताका, हाथी, घोड़ा के साथ निकली पेशवाई को देखने के लिए सड़क पर हुजूम उमड़ पड़ा। इसमें देश-विदेश के कई संत शामिल थे।
कुंभ नगर में जूना अखाड़ा के प्रवेश के बाद श्रद्धालुओं को श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई का इंतजार था। सुबह सवा आठ बजे भगवान कपलिमुनि की अगुवाई में जब अखाड़ों की सेना के साथ महामंडलेश्वरों की यात्रा निकली तो सड़क के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं के सिर श्रद्धा से स्वत: ही झुक गए। बैंडबाजा के गानों पर नृत्य करते भगवा वस्त्रधारी महंत, तरह-तरह के करतब करते नागा और उनके बीच ओजस्वी चेहरों के साथ रथ पर विराजमान महामंडलेश्वर। लगभग पांच किमी तक की इस शोभा यात्रा में जगह-जगह लोगों ने उन पर पुष्प वर्षा की और उन्होंने हाथ उठाकर सबको सुखी होने का आशीर्वाद दिया। चालीस से अधिक महामंडलेश्वरों के एक पखवाड़े की खामोशी के बाद गुरुवार को महाकुंभ क्षेत्र में एक बार फिर अखाड़ों की दुदुंभि बजी। हर-हर महादेव के आसमान छूते उद्घोष के साथ श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी ने पेशवाई निकाल कुंभ क्षेत्र में प्रवेश किया। भगवान कपिलमुनि के नेतृत्व में बैंडबाजा, ध्वज-पताका, हाथी, घोड़ा के साथ निकली पेशवाई को देखने के लिए सड़क पर हुजूम उमड़ पड़ा। इसमें देश-विदेश के कई संत शामिल थे।
कुंभ नगर में जूना अखाड़ा के प्रवेश के बाद श्रद्धालुओं को श्रीपंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की पेशवाई का इंतजार था। सुबह सवा आठ बजे भगवान कपलिमुनि की अगुवाई में जब अखाड़ों की सेना के साथ महामंडलेश्वरों की यात्रा निकली तो सड़क के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं के सिर श्रद्धा से स्वत: ही झुक गए। बैंडबाजा के गानों पर नृत्य करते भगवा वस्त्रधारी महंत, तरह-तरह के करतब करते नागा और उनके बीच ओजस्वी चेहरों के साथ रथ पर विराजमान महामंडलेश्वर। लगभग पांच किमी तक की इस शोभा यात्रा में जगह-जगह लोगों ने उन पर पुष्प वर्षा की और उन्होंने हाथ उठाकर सबको सुखी होने का आशीर्वाद दिया।
सनातन धर्म के समक्ष कई चुनौतियां-
21वीं सदी में सनातन धर्म के सामने इस समय कई चुनौतियां हैं, जिसके खिलाफ व्यापक अभियान चलाने की जरूरत है। इसके लिए भगवान आद्य शंकराचार्य के पदचिह्नों पर चलते हुए सनातन धर्म एवं वेद के विरोधियों, पाखंडियों को समाप्त करना होगा। वासुदेवानंद सरस्वती ने कुंभ मेला क्षेत्र स्थित अपने शिविर में गुरुवार को भक्तों को संबोधित करते हुए यह बातें कहीं।
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