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ब्रह्मांडीय अस्तित्व के आधार हैं शिव

शिव स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता हैं, विश्व की चेतना हैं और ब्रह्मांडीय अस्तित्व के आधार हैं। इसीलिए समस्त पुराणों में शिव महापुराण को सर्वाधिक महत्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है।

By Edited By: Published: Wed, 01 Aug 2012 10:41 AM (IST)Updated: Wed, 01 Aug 2012 10:41 AM (IST)

देहरादून। शिव स्वयंभू हैं, शाश्वत हैं, सर्वोच्च सत्ता हैं, विश्व की चेतना हैं और ब्रह्मांडीय अस्तित्व के आधार हैं। इसीलिए समस्त पुराणों में शिव महापुराण को सर्वाधिक महत्वपूर्ण होने का दर्जा प्राप्त है।

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मियांवाला चौक स्थित शिवा गार्डन में चल रही शिव महापुराण कथा के आठवें दिन कथा प्रवचन करते हुए आचार्य डॉ. संतोष खंडूड़ी ने यह उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शिवपुराण का संबंध शैव मत से है। प्राय: सभी पुराणों में शिव को त्याग, तपस्या, वात्सल्य व करुणा की मूर्ति बताया गया है। कहा गया है कि शिव सहज ही प्रसन्न हो जाने वाले एवं मनोवांछित फल देने वाले हैं। किंतु शिव महापुराण में शिव के जीवन चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उनके रहन-सहन, विवाह और उनके पुत्रों की उत्पत्ति के विषय में विशेष रूप से बताया गया है।

डॉ. खंडूड़ी ने कहा कि इसमें परात्म पर परब्रह्म परमेश्वर के शिव स्वरूप का तात्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का सुविस्तृत वर्णन है। भगवान शिव मात्र पौराणिक देवता ही नहीं, अपितु पंचदेवों में प्रधान अनादि सिद्ध परमेश्‌र्र्वर हैं और निगमागम आदि शास्त्रों में महिमामंडित महादेव हैं।

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