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समागम में उमड़ा जनसैलाब

ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्डा साहिब के चौथे निर्मल तख्त तालाब खेड़ा नवाबगंज में उनका 44वां वार्षिक समागम जोड़ मेला आयोजित किया गया। इसमें देश के कई प्रांतों से आये प्रचारकों ने बाबा जी के जीवन पर प्रकाश डाला। सभी को गुरुवाणी से जुड़ने को प्रेरित किया।

By Edited By: Published: Mon, 07 May 2012 12:35 PM (IST)Updated: Mon, 07 May 2012 12:35 PM (IST)

बाजपुर। ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्डा साहिब के चौथे निर्मल तख्त तालाब खेड़ा नवाबगंज में उनका 44वां वार्षिक समागम जोड़ मेला आयोजित किया गया। इसमें देश के कई प्रांतों से आये प्रचारकों ने बाबा जी के जीवन पर प्रकाश डाला। सभी को गुरुवाणी से जुड़ने को प्रेरित किया। हजारों लोगों ने मनोकामना पूरी होने, मन्नत मांगने को मत्था टेका व संत बाबा भगबंत भजन सिंह से आशीर्वाद लिया।

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बुद्ध पूर्णिमा पर लेवड़ा वाले बाबा के नाम से प्रचलित ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्डा जी के स्थान पर रविवार को मेला व धार्मिक समागम आयोजित हुआ। इसमें हजारों लोगों ने मत्था टेका व मनोकामना पूरी होने पर बाबा जी का आभार जताया। समागम में निर्मल तख्त के प्रमुख संत बाबा भगबंत भजन सिंह ने कहा कि गुरुग्रंथ साहिब की वाणी में श्लोक है-गुरदेव माता गुरदेव पिता गुरदेव स्वामी परमेश्वरा। अर्थात जन्म देने वाली मां बच्चे को शिक्षा देने में प्रथम गुरु है, दुनियावी शिक्षा देने में पिता की अहम भूमिका है और माता-पिता की शिक्षा रूपी प्रेरणा ही बालक को धर्म की शिक्षा की ओर अग्रसर कर गुरु से जोड़ती है। इसलिए बच्चे को संस्कारित बनाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। पंजाब से आए संत पाल सिंह लोहिया वालों ने कहा, आनंद साहिब की अंतिम पउड़ी में श्री गुरु अमरदास जी का फरमान है कि प्रभु के गुणगान से, अलाही वाणी के श्रवण से समस्त दु:ख, क्लेश, संताप आदि मिट जाते हैं। जो संतजन पूरे गुरु द्वारा सिफत सलाह की वाणी के साथ खुद को लीन करते हैं उनका हृदयरूपी कमल हमेशा खिला रहता है।

भाई सतनाम सिंह के रागी जत्थे ने कहा कि मनुष्य स्वयं को जीरो मानते हुए प्रभु में लीन करे और प्रभु की रजा में बस जाए। ऐसा मानव ब्रह्मगुरु के साथ सांसारिक वैचारिक गोष्ठी करने का पात्र हो जाता है। भाई सुरजीत सिंह बाजवा ने भू्रण हत्या, नई पीढ़ी को नशे व रसायनिक उर्वरकों से फसलों को बचाने की अपील की। भाई हरभजन सिंह थोपा ने कहा कि मुख से निकले वचन मानव को सत्य की राह पर अग्रसर करते है। वह ज्ञानी पुरुष कहलाता है। ऐसा पुरुष बनने के लिए दुनियावी अहंकार को मन से निकालना होगा। भाई निर्मल सिंह निम्मा, सूरत सिंह साजन व वीर सिंह नामधारी के रागी जत्थे ने ब्रह्मज्ञानी बाबा बुड्डा जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए महारानी गंगा को पुत्रदान प्रसंग पर प्रकाश डाला। संचालन सुरजीत सिंह ने किया। इस मौके पर डेरे के स्थानीय सेवादार भाई बलजीत सिंह, संत बाबा प्रताप सिंह, सर्व प्रदेश गुरुद्वारा कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष हरेंद्र सिंह लाडी, भूपेंद्र सिंह बाजवा, बलवंत सिंह, ज्ञानी चानन सिंह, सुरजीत सिंह, हरप्रीत सिंह, गुरप्रीत सिंह, त्रिलोचन सिंह, बलवंत सिंह, हीरा सिंह, रतन सिंह, निर्मल सिंह, सतवंत सिंह, संतोख सिंह, अजायब सिंह, सुखवीर सिंह, कुलदीप सिंह, बलवीर सिंह, परमजीत सिंह, सुरमुख सिंह, सतनाम सिंह, हरनाम सिंह, हरवंश सिंह, हरमंदर सिंह, गुरुमेज सिंह, सरबजीत सिंह, अमरीक सिंह ने भी मत्था टेका व गुरुजी से आशीर्वाद प्राप्त किया।

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