कुंभ में बिछड़कर मिले भी तो मृत
10 फरवरी को इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में जान गंवाने वाले एक और व्यक्ति की शिनाख्त तीन हफ्ते बाद हो गई। बिहार से आए भाई और बेटे ने अखबारों में छपी फोटो के आधार पर यह शिनाख्त की।
इलाहाबाद, जागरण संवाददाता। 10 फरवरी को इलाहाबाद जंक्शन रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में जान गंवाने वाले एक और व्यक्ति की शिनाख्त तीन हफ्ते बाद हो गई। बिहार से आए भाई और बेटे ने अखबारों में छपी फोटो के आधार पर यह शिनाख्त की।
मौनी अमावस्या स्नान पर्व पर संगम में डुबकी लगाने के लिए पहुंचने वालों में बिहार के सुपोल जिले के भुमहा थाना क्षेत्र स्थित छाछठ गांव के सुरेंद्र कुमार चौधरी भी थे। भगदड़ में उनकी मौत हो गई थी। अन्य परिजन बिछड़ गए थे। जैसे-तैसे घर पहुंचीं पत्नी और दूसरे लोग इस आसरे में थे कि शायद वह (सुरेंद्र) आज नहीं तो कल गंगा स्नान करके वापस आएंगे पर 20 दिन बीत चुके थे, ऐसा कुछ नहीं हुआ। घर में था गम का माहौल। दरवाजे पर किसी के दस्तक देते ही कलेजा धक कर रह जाता। इसी बीच अखबार में छपी फोटो की जानकारी घरवालों को किसी ने दी तो शुक्रवार रात तकरीबन तीन बजे सुरेंद्र के बड़े भाई वीरेंद्र अपने भतीजे सतीश (सुरेंद्र के पुत्र) के साथ स्वरूपरानी नेहरू अस्पताल पहुंचे।
शनिवार को उन्होंने एसआरएन अस्पताल में 20 दिन से रखी गई लाश देखी तो फफक पड़े। लाश सुरेंद्र की थी। 61 वर्षीय सुरेंद्र अपनी पत्नी अमला देवी और गांव के कुल 20 लोगों के साथ आठ फरवरी को घर से संगम स्नान के लिए चले थे। नौ फरवरी को स्नान करने के बाद 10 फरवरी को मौनी अमावस्या को वापस जाने की तैयारी थी। रेलवे स्टेशन पर पहुंचने पर सुरेंद्र टिकट लेने चले गए, बाकी साथी प्लेटफार्म पहुंच गए थे। तभी हादसा हो गया। आंखों में आंसू लिए सतीश ने बताया कि पिता किसानी करते थे। आखिर कहां हैं वृद्धा के परिजन
जंक्शन पर मौनी अमावस्या स्नान पर्व की रात हुए हादसे के दौरान मृत हुई एक और वृद्धा की लाश पोस्मार्टम हाउस में रखी हुई है। इसकी शिनाख्त के लिए अखबारों में विज्ञापन प्रसारित किया जा रहा है। पर अब तक कोई उसकी जान-पहचान वाला नहीं आया।
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