काशी में भी छाएगा तीर्थराज
तन-मन की शुद्धि और मोक्ष की कामना के साथ दसों दिशाओं, देश-देशांतर से लाखों-करोड़ों जिज्ञासु, श्रद्धालु कुंभ नगरी में चले आ रहे हैं। स्वर्ग, पृथ्वी लोक और पाताल के देवतागण पहले से ही विराजमान हैं।
कुंभनगर [शशि भूषण तिवारी ]। तन-मन की शुद्धि और मोक्ष की कामना के साथ दसों दिशाओं, देश-देशांतर से लाखों-करोड़ों जिज्ञासु, श्रद्धालु कुंभ नगरी में चले आ रहे हैं। स्वर्ग, पृथ्वी लोक और पाताल के देवतागण पहले से ही विराजमान हैं। पर्वतों, गुफाओं व कंदराओं में रहनेवाले अनाम तपस्वी भी विभिन्न वेशभूषा धारण किए यहां ज्ञान भक्ति और कर्म की त्रिवेणी में डुबकी लगाने को लालायित हैं। साधु-संन्यासियों के साथ वैभवशाली महामंडलेश्वरों की फौज भी यहां संगम क्षेत्र में डट गई है। लेकिन यहां सबके स्वागत में पलक-पावड़े बिछाये तीर्थराज प्रयाग खुद काशी में जाकर डुबकी लगाएंगे और बोलेंगे हर-हर महादेव। .और इस तरह होगा प्रयाग कुंभ मेले का समापन।
यही हमारी सनातन परंपरा है और पौराणिक मान्यता भी। यह दृश्य उपस्थित होगा महाशिवरात्रि पर जब तीर्थराज प्रयाग काशी जाकर गंगा स्नान करने के पश्चात काशी-विश्वनाथ भगवान भोलेनाथ की पूजा-अर्चना कर माघ मेला और कुंभ पर्व का समापन करेंगे। यह परंपरा निभाने और तीर्थराज प्रयाग की अगवानी के लिए संगम में शाही स्नान करने के बाद विभिन्न अखाड़े यहां से काशी के लिए प्रस्थान करेंगे।
अग्नि अखाड़े के स्वामी सहजानंद गिरी बताते हैं कि लगभग एक माह तक अखाड़ों के नागा, साधु-संन्यासी काशी में गंगा के पक्के घाटों पर स्थित विभिन्न मठों, मठियों, अखाड़ों की शाखाओं में ठहरेंगे और धार्मिक अनुष्ठान में निमग्न रहेंगे। यही धार्मिक परंपरा कल्पवासियों व अन्य श्रद्धालुओं द्वारा भी निभायी जाती है। विभिन्न प्रांतों, जिलों से यहां पधारे ग्रामीण भी कुंभ स्नान के बाद काशी जाकर गंगा में डुबकी लगाने के बाद अपने घरों की ओर जाते हैं। इनमें पूर्वी भारत और दक्षिण भारत के श्रद्धालु ज्यादा तादाद में होते हैं। मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर शाही स्नान करने के बाद नागा संतों की टोली जीटी रोड से होते हुए कूच करेगी। कई दिन तक चलनेवाला लगभग 125 किमी. का लंबा काफिला स्थानीय लोगों के लिए दर्शनीय होगा और दुर्लभ वंदन का अवसर भी।
हनुमान घाट स्थित जूना अखाड़े के मुख्यालय के अतिरिक्त निरंजनी, अग्नि, आवाहन समेत कई अखाड़े काशी की सड़कों पर हाथी, घोड़े, ऊंट, अस्त्र-शस्त्र, पालकी, सुसज्जित रथों के साथ जुलूस निकालेंगे व गृहस्थों, नगरवासियों को दर्शन और आशीर्वाद देंगे।
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