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श्रीमद्भागवत को करें जीवन में आत्मसात

भगवान श्रीकृष्ण की एक-एक शिक्षा में जीवन का सार छिपा हुआ है। श्रीमद्भागवत में जीवन के प्रत्येक पक्ष से जुड़ी शिक्षाएं विद्यमान हैं, इसलिए श्रीमद्भागवत कथा सुनने की नहीं आत्मसात करने की है।

By Edited By: Published: Fri, 25 May 2012 03:05 PM (IST)Updated: Fri, 25 May 2012 03:05 PM (IST)
श्रीमद्भागवत को करें जीवन में आत्मसात

रुड़की। भगवान श्रीकृष्ण की एक-एक शिक्षा में जीवन का सार छिपा हुआ है। श्रीमद्भागवत में जीवन के प्रत्येक पक्ष से जुड़ी शिक्षाएं विद्यमान हैं, इसलिए श्रीमद्भागवत कथा सुनने की नहीं आत्मसात करने की है। यह बात कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी मैत्रेयी गिरी ने भवानी शंकर आश्रम में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दौरान कही।

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श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन महामंडलेश्वर स्वामी मैत्रेयी यति ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के बारे में लोगों का नजरिया सांसारिकता से भरा हुआ है। जबकि मानव को इसे आध्यात्मिकता के नजरिये से देखना चाहिए। इससे पूर्व भगवान को 56 भोग लगाए गए। इस अवसर पर विनीत, अर्जुन, संजय, पुष्पेन्द्र, आदेश, सोनू, सुमन, विद्या, कुंतलेश, डॉ. सुशील अग्रवाल आदि मौजूद रहे।

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