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गंगा तपस्या पर निर्णय आज

गंगा तपस्या का फैसला गुरुवार को हो सकता है। देखना यह है कि जद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती तपस्या समाप्त कराते हैं अथवा प्रधानमंत्री के दूत।

By Edited By: Published: Thu, 28 Jun 2012 10:52 AM (IST)Updated: Thu, 28 Jun 2012 10:52 AM (IST)
गंगा तपस्या पर निर्णय आज

वाराणसी। गंगा तपस्या का फैसला गुरुवार को हो सकता है। देखना यह है कि जद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती तपस्या समाप्त कराते हैं अथवा प्रधानमंत्री के दूत।

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शंकराचार्य को गुरुवार को मध्यप्रदेश के लिए प्रस्थान करना है। तपस्वियों की नाजुक स्थिति को देखते हुए वह अपने स्तर पर भी कोई फैसला कर सकते हैं। वहीं प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भी 24 घंटे के ही अंदर गंगा के संदर्भ में कोई फैसला करने और तपस्या समाप्त कराने का स्पष्ट निर्देश दे रखा है लिहाजा उम्मीद की जा रही है कि राष्ट्रपति पद पर प्रणब मुखर्जी की नामांकन प्रक्त्रिया पूरी कराने के बाद गुरुवार को सायंकाल प्रधानमंत्री के दूत काशी आएंगे और कोई ठोस घोषणा कर तपस्या समाप्त कराएंगे।

तपस्वियों की स्थिति से शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती काफी व्यथित हैं। गुरुवार को शंकराचार्य की मध्यप्रदेश रवानगी को देखते हुए गंगा भक्तों द्वारा लगातार यह दबाव दिया जा रहा है कि शंकराचार्य तपस्वियों की प्राण रक्षा करें। शंकराचार्य इस बात को लेकर पूरे दिन असमंजस में रहे कि यदि वह जल पिला देते हैं तो तपस्वियों का संकल्प अधूरा रह जाएगा। इन सब के अलावा वह इस बात को लेकर काफी चिंतित हैं कि यदि संकल्पों को देखते हुए तपस्वियों को उनके हाल पर छोड़कर वह चले जाते हैं तो शिष्यों की प्राण रक्षा के धर्म को वह नहीं निभा पाएंगे। इन हालातों को देखते हुए ऐसी संभावना है कि शंकराचार्य काशी छोड़ने से पहले जल पिलाकर तपस्या पूरी कराने जैसा निर्णय ले सकते हैं।

वहीं दूसरी तरफ दिल्ली से गंगा मुक्ति महासंग्राम के राष्ट्रीय संयोजक और कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने बताया कि प्रधानमंत्री का निर्देश मिल चुका है। सरकार और अभियानम के बीच सहमति भी बन चुकी है। राष्ट्रपति चुनाव के नामांकन प्रक्त्रिया में अत्यधिक व्यस्तता और घोषणा पत्र के तैयार होने में विलंब के चलते प्रधानमंत्री के दूत बुधवार को वाराणसी नहीं जा सके। पूरी संभावना है कि गुरुवार को नामांकन प्रक्त्रिया पूरी कराने के बाद सायंकाल प्रधानमंत्री के दूत के रूप में वे नारायणसामी और श्रीप्रकाश जायसवाल काशी पहुंचेंगे और ठोस घोषणा कर संतों की तपस्या समाप्त कराएंगे।

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