युवी को लंग कैंसर नहीं, जल्द करेंगे वापसी
अमेरिका में कीमोथेरेपी करा रहे भारतीय टीम के खिलाड़ी युवराज सिंह को फेफड़ों का कैंसर नहीं है बल्कि उनके फेफड़ों के बीच में दुर्लभ किस्म का ट्यूमर है जो असाध्य नहीं है और उनके इलाज में शामिल मैक्स अस्पताल के डाक्टरों का मानना है कि वह मई के पहले सप्ताह तक मैदान पर उतर सकते हैं।
नई दिल्ली। अमेरिका में कीमोथेरेपी करा रहे भारतीय टीम के खिलाड़ी युवराज सिंह को फेफड़ों का कैंसर नहीं है बल्कि उनके फेफड़ों के बीच में दुर्लभ किस्म का ट्यूमर है जो असाध्य नहीं है और उनके इलाज में शामिल मैक्स अस्पताल के डाक्टरों का मानना है कि वह मई के पहले सप्ताह तक मैदान पर उतर सकते हैं।
युवराज को कैंसर होने का खुलासा होने के बाद से मीडिया में लग रही तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए मैक्स साकेत के डाक्टर नीतेश रोहतगी ने कहा कि युवराज को कैंसर है लेकिन यह फेफड़ों का कैंसर नहीं है। रोहतगी ने कहा, युवराज को कैंसर है और फिलहाल वह अमेरिका में कीमोथेरेपी करा रहे हैं। उन्हें फेफड़ों का कैंसर नहीं है बल्कि यह दुर्लभ किस्म का ट्यूमर है जिसे एक्स्ट्रागोनाडेल सेमिनोमा कहा जाता है जो दो फेफड़ों के बीच में है। यह असाध्य नहीं है और युवराज के करियर पर इसका असर नहीं पड़ेगा।
युवराज ने जनवरी के दूसरे सप्ताह में डाक्टर रोहतगी से सलाह ली थी और उसके बाद वह कीमोथेरेपी के लिए अमेरिका चले गए। नौ सप्ताह की कीमोथेरपी का फिलहाल तीसरा सप्ताह है। यह पूछने पर कि युवराज कब मैदान पर लौट सकेंगे, डाक्टर रोहतगी ने बताया, कीमोथेरेपी इस तरह से कराई जा रही है कि युवराज पूरी तरह फिट हो सकें। वह दस सप्ताह में ट्रेनिंग शुरू कर सकेंगे। युवराज ने काफी हिम्मत दिखाई है और इसी के दम पर वह मई के पहले सप्ताह में मैदान पर लौट सकते हैं। उन्होंने कहा, बुधवार को उनकी कीमोथेरेपी का तीसरा सप्ताह शुरू होगा। उपचार के पहले सप्ताह में युवराज को अच्छा नहीं लगा। उन्हें उल्टियां हो रही थीं लेकिन इस सप्ताह से हालात कुछ ठीक हो जाएंगे।
डाक्टर रोहतगी ने बताया कि युवराज ने जबर्दस्त जीवटता का परिचय दिया है और इसी के चलते वह तेजी से ठीक होंगे। कीमोथेरेपी की शुरुआत में युवराज के साथ गए रोहतगी ने बताया, वह किताबें पढ रहे हैं, लांग वाक पर जाते हैं, फिल्में देख रहे हैं और वीडियो गेम खेलने के साथ हल्की जागिंग भी कर रहे हैं। वह खुद जल्दी ठीक होना चाहते हैं और यह सबसे अच्छी बात है। वह उतने फिट नहीं हैं जितना एक साल पहले थे लेकिन मानसिक रूप से वह काफी मजबूत हैं।
यह पूछने पर कि क्या इस कैंसर का असर उनके करियर पर पड़ सकता है या इसके फिर उभरने की आशंका है, अस्पताल की मेडिकल ओंकोलाजी और हेमाटोलाजी विभाग की प्रमुख डाक्टर अनुपमा हुड्डा ने कहा कि इसकी संभावना कम है। उन्होंने कहा, लांस आर्मस्ट्रांग [मशहूर साइकिलिस्ट] का उदाहरण हमारे सामने हैं जिन्होंने कैंसर से उबरकर वापसी की। जहां तक इसके फिर उभरने की बात है तो इसकी आशंका भी कम ही है। वैसे युवराज के भारत लौटने के बाद हम उनकी स्थिति पर पूरी नजर रखेंगे लेकिन अगले पांच दस साल तक तो इसके फिर उभरने की कोई आशंका नहीं है।
युवराज के मार्च के आखिर में भारत लौटने की संभावना है। डाक्टर ने इन अटकलों को खारिज किया कि जीवन शैली या आनुवांशिक कारणों से यह कैंसर हो सकता है। डाक्टर हुड्डा ने कहा, इसके कारणों के बारे में निश्चित तौर पर नहीं कहा जा सकता लेकिन अनियमित जीवन शैली या आनुवांशिक कारण इसके लिए उत्तरदायी नहीं है। उन्होंने यह भी बताया, इस उपचार के विपरीत प्रभाव भी लंबे समय तक नहीं रहते लिहाजा युवराज फिर पहले की तरह जिंदगी जी सकते हैं। मैक्स हैल्थकेयर मेडिकल ओंकोलाजी की टीम अमेरिका में डाक्टरों से लगातार संपर्क में है। उन्होंने बताया कि अमेरिका में उपचार कराने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि खिलाडि़यों के उपचार का उन्हें व्यापक अनुभव है।
डाक्टरों ने इन रिपोर्र्टो को भी खारिज किया कि अस्पताल युवराज की बीमारी का पता लगाने में नाकाम रहा था। डाक्टर रोहतगी ने कहा, मैक्स शुरुआती उपचार से नहीं जुड़ा था। युवराज जनवरी के पहले सप्ताह में हमारे पास आए और तब से उनके वर्तमान उपचार और बाद में फालोअप से भी मैक्स जुड़ा रहेगा। उन्होंने कहा, शुरुआती बायोस्पी में पता नहीं चला था जिसके बाद विशेष टेस्ट कराए गए जिससे सेमिनोमा का खुलासा हुआ जिसकी अमेरिका में डाक्टरों ने पुष्टि की।
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