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उल्फा टाइगर के सुर भी बदले

शांति की तलाश में संगमनगरी पहुंचे उल्फा नेताओं के सुर भी बदले नजर आए। सेक्टर आठ स्थित शंकराचार्य अधोक्षजानंद के शिविर में उल्फा के डिप्टी कमांडेंट इन चीफ राजू बरुआ और संगठन के विदेश सचिव शशिधर चौधरी से मुलाकात हुई। पता चला कि दोनों तीन दिन से यहां डेरा डाले हुए हैं। पूछते ही शशिधर थोड़ा सकारात्मक ढंग से बात शुरू कर देते हैं-हमारा भी सीज फायर चल रहा है।

By Edited By: Published: Mon, 28 Jan 2013 02:50 PM (IST)Updated: Mon, 28 Jan 2013 02:50 PM (IST)
उल्फा टाइगर के सुर भी बदले

कुंभनगर, जागरण संवाददाता। शांति की तलाश में संगमनगरी पहुंचे उल्फा नेताओं के सुर भी बदले नजर आए। सेक्टर आठ स्थित शंकराचार्य अधोक्षजानंद के शिविर में उल्फा के डिप्टी कमांडेंट इन चीफ राजू बरुआ और संगठन के विदेश सचिव शशिधर चौधरी से मुलाकात हुई। पता चला कि दोनों तीन दिन से यहां डेरा डाले हुए हैं। पूछते ही शशिधर थोड़ा सकारात्मक ढंग से बात शुरू कर देते हैं-हमारा भी सीज फायर चल रहा है। सरकार हमारी मांगों पर गंभीरता से विचार कर रही है। अपेक्षा है कि जल्द सकारात्मक फैसले होंगे। बरुआ इसे और विस्तार देते हैं-लेकिन देरी से मिला न्याय अन्याय से कम नहीं होता। दोनों नेता बताते हैं कि उन्होंने संगम में डुबकी लगाई और उन्हें असीम संतोष हासिल हुआ। मां गंगा से भी हमने उन मांगों को ही पूरा करने की प्रार्थना की है जिसके लिए लंबे समय से संघर्षरत हैं। शशिधर आंदोलन का इतिहास बताने में जुट जाते हैं। अंत में कहते हैं-साल भर पहले भारत सरकार के साथ सीज फायर की घोषणा हुई है।

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हमारी बातें चल रही हैं। हमें मूलभूत समस्याओं का समाधान चाहिए। हमारी वार्ता चल रही है। इस वार्ता के पीछे महाराज का प्रयास है। शशिधर शंकराचार्य अधोक्षजानंद की तरफ इशारा कर चुप हो जाते हैं। अधोक्षजानंद महाराज इस चुप्पी पर विराम लगाते हैं। कहते हैं, सब शांत हो जाएगा। सभी अपने हैं, अपनों का खून क्यों गिरे। अब विकास की बात होनी चाहिए, अलगाव के विचार अब हमेशा-हमेशा के लिए बंद हो जाएंगे। भारत सरकार तेजी से विचार कर रही है, प्रयास अंतिम स्टेज पर है। शुरू होती है एक बार फिर संगम और उसके आध्यात्म और संस्कृति की चर्चा। बीच-बीच में यह दोहराना नहीं भूलते, अब तो हम हर बरस संगम पर आया करेंगे। चलते-चलते बीस भाषाओं का ज्ञान

न कोई पाठशाला, और न कोई गुरु। उल्फा के विदेश सचिव शशिधर बरुआ को जब जिस देश में जाना हुआ, वहां जाने से पहले उस देश की भाषा का ज्ञान घने जंगलों में लिया, फिर उस देश की यात्रा पर निकल पड़े। वह भी भारत के दुश्मन देशों की धरती को नापने। इस बीच वह न जाने कब बीस भाषाओं में पारंगत हो गए, उन्हें भी याद नहीं। एक चुप हजार चुप

शशिधर चौधरी जहां नॉन स्टॉप बातें करते हुए कहकहा लगा बैठते थे, वहीं उल्फा के डिप्टी कमांडर इन चीफ राजू बरुआ बेहद गंभीर स्वभाव के लगे। ज्यादा बोलना नहीं, होठ तभी फड़फड़ाते, जब शशिधर चौधरी कुरेदते। सवाल का जवाब मुस्कुराहट बिखेरकर, बोलना कुछ नहीं। बार-बार त्योरियां चढ़तीं, मानों उनके अंदर का कोई तूफान बार-बार बाहर आने के लिए मचल रहा हो।

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