सामाजिक सरोकारों से जुड़ा आर्य समाज मंदिर
गुड़गांव के मॉडल टाउन में भव्य आर्य समाज मंदिर शोभायमान है। यहां बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ वैदिक संस्कारों व राष्ट्रीय मूल्यों से भी अवगत कराया जाता है। मंदिर में नि: शुल्क चिकित्सालय भी है। देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आती है तो मंदिर की ओर से हरसंभव सहायता भेजी जाती है।
आर्य समाज की स्थापना महान क्रांतिकारी संत स्वामी दयानंद सरस्वती ने की थी। भारत जब आजाद नहीं हुआ था उस समय देश में अनेक कुरीतियां और बुराइयां समाज में फैली हुई थीं। खासकर हिंदू धर्म में पाखंड और आडंबरों का बोलबाला हो गया था। समाज और धर्म से इन्हीं पाखंडों और आडंबरों को जड़ से उखाड़ने का बीड़ा उठाया स्वामी दयानंद सरस्वती ने।
स्वामी दयानंद सरस्वती के इन्हीं सिद्धांतों से प्रेरित होकर हरियाणा के लोगों ने भी जगह-जगह आर्य समाज मंदिरों की स्थापना की। ऐसा ही एक भव्य आर्य समाज मंदिर गुड़गांव के मॉडल टाउन में शोभायमान है। इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1956 में हुई थी। वर्षो पहले रोपा गया यह पौधा आज तीन मंजिल की भव्य इमारत रूपी बरगद हो गया है। मंदिर में एक यज्ञशाला है जहां प्रतिदिन वैदिक विधि विधान से यज्ञ किया जाता है। मंदिर में दो सत्संग हॉल हैं तथा एक लंबा-चौड़ा खुला प्रांगण है। मंदिर में ही 18 कमरों का एक दसवीं तक का स्कूल चलता है। यहां बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ वैदिक संस्कारों व राष्ट्रीय मूल्यों से भी अवगत कराया जाता है। बच्चों के लिए एक पुस्तकालय भी है जहां उनके लिए धार्मिक व साहित्यिक पुस्तकें रखी गई हैं। इस स्थायी मान्यता प्राप्त स्कूल का परिणाम सदैव सौ प्रतिशत रहता है। मंदिर के प्रांगण में स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के अलावा स्वामी दयानंद सरस्वती की जयंती भी धूमधाम से मनाई जाती है। मंदिर में योग शिविर तथा विभिन्न अवसरों पर भजन-कीर्तन भी आयोजित किए जाते हैं। मंदिर में एक निश्शुल्क चिकित्सालय भी है जहां गरीब लोगों का मुफ्त में इलाज किया जाता है। मंदिर के स्कूल में गरीब, अनाथ व असहाय बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है। मंदिर में गरीब कन्याओं का विवाह भी कराया जाता है।
देश में कहीं भी प्राकृतिक आपदा आती है तो मंदिर की ओर से हर संभव सहायता भेजी जाती है। आर्य समाज मंदिर देश में अनेक सुधार के कार्य कर रहे हैं। मंदिर के प्रमुख अशोक शर्मा ने बताया कि आज देश में ऐसे ही आर्य समाज मंदिरों की आवश्यकता है जो समाज में नैतिकता की लहर ला सकें। उल्लेखनीय है कि आर्य समाज मंदिरों में मूर्ति पूजा नहीं की जाती है।
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