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गली-गली भोले की जयकार

सावन का तीसरा सोमवार और साथ में नागपंचमी त्योहार। इस साझा उत्सव पर काशी की गली-गली भोले शंकर की जयकार गूंजती रही। लोगों ने बाबा को शीश नवाए।

By Edited By: Published: Tue, 24 Jul 2012 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2012 11:46 AM (IST)
गली-गली भोले की जयकार

वाराणसी। सावन का तीसरा सोमवार और साथ में नागपंचमी त्योहार। इस साझा उत्सव पर काशी की गली-गली भोले शंकर की जयकार गूंजती रही। लोगों ने बाबा को शीश नवाए। उनका यथा शक्ति जल-दूध से अभिषेक किया तो उनके गले और शिवलिंग के अरघे में शोभित नाग देवता को दूध लावा चढ़ाए। कुछ इस तरह से श्रद्धालुओं ने एक ही पूजा से डबल पुण्य कमाए। शिवालयों में मुंह अंधेरे से लगी कतार का रात तक पारावार न था। काशी विश्वनाथ मंदिर में देवाधिदेव महादेव के दर्शन को तो रविवार की रात से ही रेला उमड़ पड़ा था। भोर में पट खुलने से पहले लगभग दो किलोमीटर तक लंबी कतार तो शाम पांच बजे तक ही 2.36 लाख लोगों ने पूजन अभिषेक कर लिए। रात 10.30 बजे तक यह संख्या 3.33 लाख तक पहुंच गई।

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श्रद्धालुओं में स्थानीयजनों के साथ ही अन्य जिलों व प्रदेशों से आए लोग तो कावंरियों की भीड़। बाबा का सोमवार की सुबह दर्शन करने के लिए रात आठ बजे से कतार लग गई थी। एक छोर बांसफाटक तो दूसरा चौक की ओर जो भोर में मंगला आरती से पहले यह लक्सा और नीचीबाग तक पहुंच गई। लंबी कतार के बाद भी शिवभक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा था। हाथों में दूध या जलपूरित पात्र, साथ में पुष्प और बिल्व पत्र। हर हर महादेव का उद्घोष गुंजाते, बाबा की जयकार लगाते और उनके ही भजन गाते लोगों ने रात काट दी। भोर में पट खुलने के साथ ही श्रद्धा का पारावार न रहा। बाबा विश्वनाथ के अर्द्धनारीश्वर श्रृंगार की झांकी के दर्शन किए और पूजन अनुष्ठान किया।

श्रृंगार पर फंसा पेंच- सावन के तीसरे सोमवार को बाबा के श्रृंगार को लेकर भी पेंच फंस गया। परंपरा के अनुसार फूल पत्तियों से अर्धनारीश्वर श्रृंगार की झांकी सजाई जाती है। इसके लिए बुलाया गया माली साज सज्जा में सटीक स्वरुप नहीं दे सका। इसे देखते ही पुजारीगण भड़क उठे। इसके बाद लगभग सौ वर्षो से इस कार्य में लगे श्रृंगारिया परिवार के मालियों को बुलाया गया। परिवर्तन के बाद श्रृंगार की झांकी को पूर्ण रुप दिया जा सका। इससे पहले मंदिर की साज सज्जा में प्लास्टिक के फूल लगाने पर विरोध मंदिर प्रशासन को विरोध झेलना पड़ा था।

225 डाकबम ने चढ़ाया जल- काशी विश्वनाथ मंदिर में रात तक 225 डाकबम ने जल चढ़ाए। वह इलाहाबाद से जल लेकर यहां पहुंचे थे।

शिवालयों में उमड़ा श्रद्धा का सागर-

नगर व अंचलों में स्थित अन्य शिवालयों में भोले नाथ व नाग देवता के दर्शन- पूजन-अनुष्ठान को मानो श्रद्धा का सागर उमड़ पड़ा। बीएचयू विश्वनाथ मंदिर, दारानगर में महामृत्युंजय महादेव मंदिर, कर्दमेश्वर महादेव, वनखंडी महादेव, तिलभांडेश्वर महादेव, गौरीकेदारेश्वर, तिलभांडेश्वर महादेव, त्रिलोचन महादेव, ओंकारेश्वर महादेव, जागेश्वर मंदिर, अस्सी स्थित सिद्धेश्वर महादेव मंदिर. अर्दली बाजार के महाबीर मंदिर में दर्शन पूजन को भीड़ लगी रही। स्थानीयजनों के साथ ही दूर दराज से आए असंख्य शिवभक्त इसमें शामिल थे। कांवरियों ने भी काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन पूजन के साथ इन मंदिरों में भी जल चढ़ाए और अगले पड़ाव के लिए प्रस्थान करते गए।

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