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नाग देवता के नाम पंचमी का अनुष्ठान

सावन शुक्ल पंचमी तद्नुसार सोमवार की पंचमी नाग देवता को समर्पित रही। काल सर्पयोग से रक्षा की कामना से नागपंचमी पर लोगों ने घरों मंदिरों में श्रद्धा से पूजन-अनुष्ठान किया।

By Edited By: Published: Tue, 24 Jul 2012 11:46 AM (IST)Updated: Tue, 24 Jul 2012 11:46 AM (IST)
नाग देवता के नाम पंचमी का अनुष्ठान

वाराणसी। सावन शुक्ल पंचमी तद्नुसार सोमवार की पंचमी नाग देवता को समर्पित रही। काल सर्पयोग से रक्षा की कामना से नागपंचमी पर लोगों ने घरों मंदिरों में श्रद्धा से पूजन-अनुष्ठान किया। नाग देवता को दूध और लावा चढ़ाए, जमकर पकवान खाए। शौर्य पर्व पर अखाड़ों में परंपरा के अनुसार पहलवानों ने हाथ आजमाए। कहीं महुअर तो कहीं मल्ल युद्ध का रंग जमा। मंदिरों के इर्द गिर्द मेला सा दृश्य रहा।

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मुंह अंधेरे से ही गलियों और सड़कों पर नागों के चित्र लिए छोटे गुरु का बड़े गुरु का नाग लो भई नाग लो की आवाज गूंजने लगी। इन्हें दरवाजों पर चिपका कर लोगों ने दूध-लावा अर्पित किए और पूजन अनुष्ठान किया। कई घरों में गृहणियों ने भूमि पर नाग आकृतियों को उकेरा। नाग वंश का पूजन किया और शेष, वासुकी व जनमेजय सर्पदोष-सर्पकोप से परिवार रक्षा की प्रार्थना की। इसके लिए लोकाचार के मुताबिक घर की चहारदीवारी पर गोबर से चौगोठ भी खींची गई। कई लोगों ने पुरोहितों से नाग पंचमी की कथा का श्रवण भी किया। इसके अलावा पकवानों की छुन -छुन और सोंधी गंध किचेन की दहलीज से निकल कर गली-चौबारे तक नथुनों में समाती रही। लोगों ने पूजन अनुष्ठान किया और जमकर पकवान छके। इससे पहले शिवालयों में भी लोगों ने दर्शन पूजन किया। हालांकि मौका सावन के सोमवार व पंचमी त्योहार का था, ऐसे में भीड़ कुछ अधिक ही रही। श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का दुग्धाभिषेक किया। साथ ही नाग देवता के नाम से भी दूध-लावा अर्पित किया। बड़ी संख्या में श्रद्धालु जैतपुरा स्थित नागकुंआ पहुंचे और सविधि दूध-लावा, माला-फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा की। सपेरों ने भी मौके का जमकर लाभ उठाया, गली-गली घूमकर नाग देवता का दर्शन कराया। लोगों ने श्रद्धापूर्वक पकवान और द्रव्य चढ़ाए। कुछ स्थानों पर महुअर यानी मंत्र युद्ध का प्रदर्शन लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा। अखाड़ों में पहलवानों ने हाथ आजमाए। विजेता प्रतिभागी पुरस्कृत भी हुए। सेठ अखाड़ा-कज्जाकपुरा, महावीर मंदिर व्यायमशाला-अर्दली बाजार, श्रीराम यादव अखाड़ा-नदेसर, श्रीजग्गू सेठ व्यायामशाला -घुंघरानी गली, श्रीहनुमानजी सार्वजनिक व्यायामशाला-धूपचंडी, बाबा जीवनदास व्यायामशाला-विश्वेश्वरगंज, बड़ागणेश और कर्णघंटा व्यायामशाला में भीड़ रही।

शिवालयों के आसपास मेला-

सावन का सोमवार और नागपंचमी त्योहार पर मंदिरों में उमड़ी भीड़ से चहुंओर मेला सा माहौल रहा। फूल-माला, मिष्ठान और पूजन सामग्रियों के साथ ही खिलौने, बिसातबाने और खानपान की दुकानें सज गई थीं। झूला और चकरी भी उत्सव में चार चांद लगाने के लिए तैयार थी। लोगों ने दुकानों पर खरीदारी की और मेला का आनंद लिया।

पूरे दिन गूंजती रही बीन

नागपंचमी पर घरों में भी पूरे दिन बीन की आवाज गूंजती रही। इसका इंतजाम टीवी चैनलों ने किया था। अमूमन सभी फिल्मी चैनलों पर नाग कथाओं से संबंधित नई पुरानी फिल्मों का पूरे दिन प्रसारण होता रहा। लोगों ने नगीना, नागिन, शेषनाग, दूध का कर्ज समेत विभिन्न फिल्में देखीं और नाग देवता के दर्शन भी कर लिए।

दूध का चढ़ा रहा तेवर

सावनी सोमवार और नागपंचमी त्योहार के साझा उत्सव पर दूध का भी तेवर चढ़ा रहा। दूधियों ने इसकी दो-तीन गुना कीमतें वसूल लीं। मंदिरों के आसपास की दुकानों पर तो 250 ग्राम दूध के 15 से 20 रुपये वसूल लिए गए। इसके बाद भी लोगों की आस्था में तनिक भी कमी न रही। लोगों ने भोले शंकर और नागदेवता को दूध अर्पित किया।

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