जिंदा रहे तो चांद सितारे बने रहे..
<p>मंदिर मस्जिद बाद में, पहले हैं मां-बाप., जिंदा रहे तो चांद सितारे बने रहे. और अपने तो दिल दुखाते रहते हैं. जैसी अनेक मन को छू जाने वाली कविताएं शहर के कवियों ने बुधवार को आनंद धाम आश्रम में पढीं। </p>
भोपाल, जागरण सिटी। मंदिर मस्जिद बाद में, पहले हैं मां-बाप., जिंदा रहे तो चांद सितारे बने रहे. और अपने तो दिल दुखाते रहते हैं. जैसी अनेक मन को छू जाने वाली कविताएं शहर के कवियों ने बुधवार को आनंद धाम आश्रम में पढीं। मौका था दक्षिण गंगा सेवा एवं लोक कल्याण समिति द्वारा सम्मान समारोह व काव्य गोष्ठी का। आदि शक्ति साहित्य कला परिषद और इंद्रपुरी महिला मंडल के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित सम्मान समारोह की अध्यक्षता साहित्यकार डॉ. हुकुमपाल सिंह विकल ने की, जबकि इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार लज्जा शंकर हरदेनिया विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। कार्यक्त्रम में आनंदधाम के बुजुर्गो के सम्मान के पश्चात हिन्दी की कवियत्री विद्या नेगी को परिषद द्वारा सारस्वत सम्मान वर्ष 2012 से नवाजा गया। काव्य गोष्ठी की श्रृंखला में राष्ट्रीय कवि खलील कुरैशी ने जन गण मन और तन से निकले सदा यही संदेश., विद्या नेगी ने परिवारों की देख रहा है नवयुग बरबादी., विजय कुमार पंथी ने अपने तो दिल दुखाते रहते हैं हौसला अजनबी से मिलता है., अहद प्रकाश ने जिंदा रहे तो चांद. और मोहन सिंह ठाकुर ने शाम नहीं सारा जीवन नाम बुजुर्गो के कर दो. गीत पेशकर माहौल को आदर और सौहार्द की भावना से भर दिया।