धर्माचार्यो-ज्योतिषियों का होगा संगम
प्रयाग की रेती पर चंद माह बाद धर्म-आध्यात्म का प्रतीक कुंभ लगने वाला है। मोक्ष की आस में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु यहां जप-तप के लिए आएंगे। इसी कुंभ में ज्योतिषियों का जमावड़ा भी लगेगा।
इलाहाबाद। प्रयाग की रेती पर चंद माह बाद धर्म-आध्यात्म का प्रतीक कुंभ लगने वाला है। मोक्ष की आस में दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु यहां जप-तप के लिए आएंगे। इसी कुंभ में ज्योतिषियों का जमावड़ा भी लगेगा। संगम तीरे चार फरवरी से आठ फरवरी तक ज्योतिष महाकुंभ का आयोजन होगा।
प्राच्य विद्या ज्योतिष अध्ययन एवं अनुसंधान संस्थान की ओर से वर्ष 2001 में प्रयाग में हुए कुंभ में पहला ज्योतिष कुंभ लगाया गया था। इसके बाद नासिक, उज्जैन, हरिद्वार के कुंभ में इसका आयोजन किया गया। इसमें अब तक सिर्फ ज्योतिषी ही अधिक संख्या में शामिल होते रहे हैं। अबकी बार ज्योतिषियों के अलावा चारों पीठों के शंकराचार्य, धर्मगुरू दलाईलामा, श्रीश्री रविशंकर, मुरारी बापू, रमेशभाई ओझा सहित कई प्रमुख संत-महात्मा अलग-अलग सत्रों में भाग लेंगे। सभी ज्योतिष, पुराण, वेद, तंत्र साहित्य, योग, कुंभ पर्वो की उपयोगिता पर बहस करने के साथ इन प्राचीन विद्याओं को संरक्षित करने के लिए ठोस योजना तैयार करेंगे। अंतिम दिन एक सामूहिक प्रस्ताव पारित करके उसे लागू करने के लिए प्रदेश व केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। संस्थान के निदेशक डॉ. रामनरेश त्रिपाठी के अनुसार ज्योतिष, वेद, पुराण भारत की अमूल्य धरोहर हैं।
गंगा उत्थान की बनेगी रणनीति-
ज्योतिष कुंभ में प्रतिदिन चार सत्र होंगे। जो आदि शंकराचार्य, कुमारिल भट्ट, महर्षि भारद्वाज, रामानंदाचार्य को समर्पित होगा। इसमें धर्माचार्य एवं ज्योतिषी गंगा व पर्यावरण उत्थान पर चर्चा करने के साथ रणनीति तैयार करेंगे।
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