अक्षय पुण्य को करें महादेव-विष्णु की स्तुति
चंद दिनों बाद पुरुषोत्तम मास यानि मलमास माह का आरंभ होगा। मलमास देवाराधन के लिए सबसे उत्तम समय है, इसमें भगवान शिव व विष्णु की स्तुति करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी।
इलाहाबाद। चंद दिनों बाद पुरुषोत्तम मास यानि मलमास माह का आरंभ होगा। मलमास देवाराधन के लिए सबसे उत्तम समय है, इसमें भगवान शिव व विष्णु की स्तुति करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होगी। परंतु सारे शुभ कार्य इसमें वर्जित रहेंगे। ऐसी मान्यता है कि 32 माह 16 दिन और चार घटी बीतने पर एक मलमास होता है। मलमास की शुरुआत इस बार 18 अगस्त से शुरू होकर 16 सिंतबर तक चलेगा।
शनिवार का दिन होने के साथ प्रतिप्रदामघा नक्षत्र, परिघ योग, किंस्तुघ्न करण के साथ सिंह का चंद्रमा व सूर्य रहेगा। जो आराधना के लिए काफी शुभ होता है। उपयुक्त ग्रहीय स्थिति में साधक जिस देवता की आराधना शुरू करेंगे वह पूर्णता को प्राप्त होंगे। श्रीधर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार मलमास में भगवान शिव व विष्णु की आराधना अत्यंत पुण्यकारी होती है।
इस माह में फल प्राप्ति की कामना से कोई धार्मिक अनुष्ठान नहीं करना चाहिए, बल्कि निष्काम भाव से आराध्य का स्मरण करने से अक्षय फल की प्राप्ति होगी। इसमें साधक को घर में मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनका पूजन-अर्चन करना चाहिए।
इसके साथ सुबह और शाम भगवान विष्णु के विष्णु, राम, कृष्ण, वामन, पुरुषोत्तम आदि नामों का जाप करने से मन की इच्छा पूरी होगी।
पाप से मिलेगी मुक्ति-
भारतीय विद्या भवन में ज्योतिष विभाग के प्राचार्य आचार्य त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार मलमास भक्तों के लिए अक्षय पुण्य देगा, साथ ही समस्त पापनाशक होगा। गोचरीय संचरण और ग्रहीय व्यवस्था के तहत मलमास की पुरुषोत्तम एकादशी 26 अगस्त, प्रदोष व्रत 29 अगस्त, पूर्णिमा व्रत स्नान-दान एवं श्राद्ध 16 सितंबर की तिथियां पूजन अर्चन के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं।
ये कार्य रहेंगे वर्जित-
मलमास के दौरान पुण्यकारी कार्य नहीं करना चाहिए, अगर कोई करता भी है तो आगे चलकर उसमें अनेक विघ्न आ सकते हैं। इसलिए मलमास के दौरान शादी-ब्याह, सगाई, गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत संस्कार, नामकरण संस्कार, किसी नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे सारे शुभकार्य पूरी तरह से वर्जित रहेंगे।
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