धरातल पर नहीं रसातल की योजना
काशी की धरती से गायब हो रही हरियाली और फैलते कंक्त्रीट के जंगलों के कारण बारिश का पानी रिसकर नीचे नहीं पहुंच पा रहा।
वाराणसी। काशी की धरती से गायब हो रही हरियाली और फैलते कंक्त्रीट के जंगलों के कारण बारिश का पानी रिसकर नीचे नहीं पहुंच पा रहा। इस समस्या के समाधान के लिए मकानों की छतों पर गिरने वाले वर्षा जल को रसातल में पहुंचाने की योजना बनाई गई लेकिन वो योजना यथार्थ के धरातल पर उतर नहीं पाई। ऐसे में भूगर्भ का हलक तर करने के लिए बनी योजना के एक दशक से ठंडे बस्ते में पड़े होने को लेकर तरह-तरह के सवाल उठाए जाने लगे हैं। तकनीकी विशेषज्ञों ने वर्षा जल को भूमिगत स्त्रोतों में पहुंचाने के उद्देश्य से आम नागरिकों को सस्ती और सरल तकनीक अपनाने की सलाह दी है। भूगर्भ जल संरक्षण विभाग के अधिकारियों का मानना है कि पेयजल और सिंचाई के काम में भूजल स्त्रोतों के अंधाधुंध दोहन से जल भंडारण खत्म हो रहा है। वर्षा जल संचयन के द्वारा ही भू गर्भ जलस्तर ऊपर लाया जा सकता है। क्या थी योजना- जलनिधि योजना के अंतर्गत एक दशक पहले जिले में वर्षा जल संचय के लिए कार्य योजना तैयार की गई थी जिसमें इस बात का प्रावधान किया गया था कि 200 वर्ग मीटर की छत के लिए पिट के बजाय बगीचे के किनारे ट्रेंच (खाईनुमा गढ्डा) बनाकर छतों पर गिरने वाले वर्षा जल को जमीन के भीतर भेजा जाएगा। सुझाव दिया गया कि घर के आसपास यदि कोई सूखा कुआं हो तो उसे भी सीधे रिचार्ज के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। शहर में फैल कंक्त्रीट के जंगलों पर भी वैज्ञानिकों ने चिंता जताई है। वर्षा जल संचयन के लिए छोटे और आसान तरीके अपनाने की सलाह भी दी गई। वैज्ञानिकों ने घर के आसपास लॉन को कच्चा रखने, घर के बाहर सड़कों के किनारे पटरियों को कच्चा रखने की बात कही है। तकनीकी विशेषज्ञों ने पार्को में रिचार्ज पिट ट्रैंच बनाने के लिए कहा है। हालांकि लोगों में अभी वर्षा जल संचय को लेकर जागरूकता नहीं आ पाई है। नदी-नालों में बह जाता है पानी : आमतौर पर लोग बरसात के पानी के संचय पर लापरवाही बरतते हैं। यदि वो लोग ही चाहें तो कम लागत में अधिक से अधिक बरसात का पानी इकट्ठा किया जा सकता है। विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत गांवों में तालाब, चेकडैम का निर्माण करवाया जा रहा है। इसके बाद भी बरसात का 50 फीसद से ज्यादा पानी नदी नालों में व्यर्थ बह जाता है। मई का माह आते ही पानी को लेकर हायतौबा मच जाती है। वैज्ञानिकों का भी कहना है कि अब तो गांवों और शहरों में पानी संचय को लेकर जन जागरण अभियान चलाया जाना चाहिए। जब तक नागरिक पानी के महत्व को नहीं समझेंगे तब तक स्थिति में सुधार के लिए वो आगे नहीं आएंगे। कौन सी छत कितना समेटेगी पानी छत का क्षेत्रफल - वर्षा जल 100 वर्ग मीटर-80 हजार लीटर 200 वर्ग मीटर-1.60 लाख लीटर 300 वर्ग मीटर-2.40 500 वर्ग मीटर-4 लाख लीटर 1000 वर्ग मीटर- 8 लाख लीटर।
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