अब शंकराचार्य विहीन नहीं रहेगा कुंभ मेला
चतुष्पथ के विवाद को लेकर मेले का बहिष्कार कर चुके शंकराचार्यगण अब वापसी को तैयार हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो चार पीठों पर स्थापित यह शंकराचार्य कुंभ के दौरान उपस्थित रहेंगे। इसमें से पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्वलानंद का कार्यक्त्रम तो निर्धारित भी हो चुका है। वह 29 जनवरी को मेलाक्षेत्र में पहुंच जाएंगे।
इलाहाबाद। चतुष्पथ के विवाद को लेकर मेले का बहिष्कार कर चुके शंकराचार्यगण अब वापसी को तैयार हैं। अगर सब कुछ ठीक रहा तो चार पीठों पर स्थापित यह शंकराचार्य कुंभ के दौरान उपस्थित रहेंगे। इसमें से पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्वलानंद का कार्यक्त्रम तो निर्धारित भी हो चुका है। वह 29 जनवरी को मेलाक्षेत्र में पहुंच जाएंगे।
कुंभ मेले के लिए जमीन आवंटन शुरू होते ही चारों पीठों के शंकराचार्यो को एक साथ एक चौराहे पर स्थापित करने की कल्पना के साथ शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद के प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सेक्टर नौ में लोअर संगम मार्ग चौराहे पर शिविर लगा लिया था। स्थानीय संतों, अखाड़ों व मेलाप्रशासन ने इसका कड़ा विरोध किया था। स्थिति से नाराज स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद चारों पीठों के शंकराचार्यो की तस्वीर लेकर मेला क्षेत्र से निकल गए थे। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद ने भी कुंभ मेला के दौरान न आने की घोषणा कर दी थी। इस मामले में भारी किरकिरी होने के बाद प्रदेश सरकार ने शंकराचार्यो को मनाने के लिए मध्यस्थों की मदद से खासा प्रयास किया। इसके चलते शंकराचार्यगण अंत में कुंभ मेला क्षेत्र में अपना शिविर लगाने को तैयार हो गए। पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद का शिविर संगम लोअर मार्ग पर, ज्योतिषपीठ व द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद का शिविर काली मार्ग पर लग गया। इनके पास में ही श्रंगेरी के शंकराचार्य स्वामी भारती तीर्थ महाराज का शिविर भी लग गया है।
प्रदेश सरकार की ओर से इलाहाबाद के सांसद कुं. रेवतीरमण सिंह ने शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद को मनाने के लिए शनिवार को उनके प्रतिनिधि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद से मुलाकात की। साथ ही अपने प्रतिनिधि के रूप में बारा के विधायक डॉ. अजय कुमार को जबलपुर शंकराचार्य से मिलने के लिए भेजने की घोषणा की। इन स्थितियों के बीच पुरी के शंकराचार्य ने अपना कार्यक्रम घोषित कर दिया है। उनके प्रतिनिधि विधुशेखर मिश्र ने बताया कि 27 को पुरी में समुद्र की महाआरती होनी है। इस आरती के बाद वह प्रयाग के लिए रवाना हो जाएंगे तथा 29 जनवरी को प्रयाग पहुंच जाएंगे। वह पूरे एक मास तक प्रयाग में रहकर कल्पवास करेंगे। माना यह जा रहा है कि अब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद और उनके साथ पहली बार स्वामी भारती तीर्थ जी के भी आने की संभावना बढ़ गई है।
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