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गंगा पर मंशा स्पष्ट करे सरकार

अखिल भारतीय दंडी संन्यासी महासभा के महामंत्री स्वामी ईश्वरानंद तीर्थ [गंगोत्री वाले] ने कहा कि सरकार 10 दिनों के अंदर अविरल गंगा के मुद्दे पर अपनी मंशा स्पष्ट करे।

By Edited By: Published: Fri, 27 Apr 2012 11:05 AM (IST)Updated: Fri, 27 Apr 2012 11:05 AM (IST)
गंगा पर मंशा स्पष्ट करे सरकार

वाराणसी। अखिल भारतीय दंडी संन्यासी महासभा के महामंत्री स्वामी ईश्वरानंद तीर्थ [गंगोत्री वाले] ने कहा कि सरकार 10 दिनों के अंदर अविरल गंगा के मुद्दे पर अपनी मंशा स्पष्ट करे। इसके बाद दंडी संन्यासी सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे। वह गुरुवार को मुमुक्षु भवन में गंगा अभियानम् के समर्थन में आयोजित दंडी स्वामियों की बैठक को संबोधित कर रहे थे। कहा, पिछले 103 दिनों से अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् की तपस्या जारी है लेकिन केंद्र सरकार चुप्पी साधे बैठी है और मामले को उलझा कर खत्म करने की कोशिश कर रही है। गंगा हिंदू जनमानस के लिए आस्था की प्रतीक है। अगर यह समाप्त हो गई तो मानव जीवन खतरे में पड़ जाएगा। बैठक में तय किया गया कि यदि सरकार गंगा की अविरलता पर अपना रुख स्पष्ट नहीं करती है तो हमें निर्णायक आंदोलन के लिए तैयार रहना होगा। बैठक में स्वामी रामरूपानंद तीर्थ, स्वामी राजनारायण आश्रम, स्वामी अखंडानंद तीर्थ, स्वामी भागवतानंद तीर्थ, स्वामी विवेकानंद तीर्थ, स्वामी रघुनाथानंद तीर्थ आदि ने विचार व्यक्त किए। शंकराचार्य की जयंती श्रीविद्यामठ में शंकराचार्य की जयंती मनाई गई। इस मौके पर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती न्याय वेदांत महाविद्यालय का वार्षिकोत्सव भी मनाया गया। प्राचार्य शिवजी शास्त्री ने आदि शंकराचार्य की पादुका का पूजन किया और नूतन प्रविष्ट वैदिक बटुकों का सामूहिक यज्ञोपवीत संस्कार भी सम्पन्न हुआ।

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उपवास का क्रम जारी- शंकराचार्य घाट स्थित तप:स्थली पर नित्य की भांति दैनिक उपवास का कार्यक्रम जारी था। ब्रहृाचारी कृष्णप्रियानंद ने श्रीमद्भागवत कथा का वाचन किया। आगंतुकों का स्वागत अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पाण्डेय ने किया। गंगा को छीनने नहीं देंगे काशीवासी केंद्रीय देव दीपावली महासमिति काशी के तत्वावधान में राजघाट से प्रहलाद घाट के बीच हर-हर गंगे, घर-घर गंगे अभियान चला कर लोगों का जनजागरण किया गया। इस मौके पर आयोजित सभा को संबोधित करते हुए सोमनाथ ओझा ने कहा कि बांधों के निर्माण का मतलब गंगा की मौत। गंगा के प्रवाह को जगह-जगह बांधों के जरिए रोक दिए जाने से आज गंगा में उसके मूल जल की जगह गटर का पानी बढ़ता जा रहा है। इसके चलते गंगा घाटी के लोग तरह-तरह की बीमारियों के शिकार होते जा रहे हैं। सरकार का यह प्रयास गंगा को हमने छीनने जैसा है। अभियान को समर्थन अविरल गंगा की मांग को लेकर जारी तपस्या के 108 दिन पूरे होने पर विभिन्न घाटों पर आयोजित गंगा अर्चन अभियान को समर्थन देने वालों का तांता लगा रहा।

श्रमदान कर घाट की सफाई- स्पंदन स्पर्श सेवा संस्थान की ओर से श्रमदान कर घाटों की सफाई की गई।

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