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प्रेम की सागर हैं गंगा

दक्षिण भारत की प्रमुख धर्माचार्य माता अमृतानंदमयी देश-विदेश के अपने सैकड़ों भक्तों के साथ संगम के पावन जल में डुबकी लगाई। बुधवार की सुबह वह प्रयाग पहुंचीं।

By Edited By: Published: Thu, 17 Jan 2013 03:21 PM (IST)Updated: Thu, 17 Jan 2013 03:21 PM (IST)
प्रेम की सागर हैं गंगा

कुंभनगर। दक्षिण भारत की प्रमुख धर्माचार्य माता अमृतानंदमयी देश-विदेश के अपने सैकड़ों भक्तों के साथ संगम के पावन जल में डुबकी लगाई। बुधवार की सुबह वह प्रयाग पहुंचीं। संगम स्नान करने के बाद उन्होंने पूजन-अर्चन किया। भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि गंगा प्रेम की सागर हैं जिनके पास आने पर मानव की हर इच्छा पूरी होती है। पूरी दुनिया में गंगा से बड़ी कोई पवित्र नदी नहीं है, उनका प्रदूषित होना चिंता की बात है। माता अमृता ने कहा कि 21वीं सदी में विकास का जो खाका तैयार किया गया है उससे भारतीय संस्कृति विलुप्त हो जाएगी। गंगा और गाय का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है, इसके खिलाफ व्यापक जनजागरण करने की जरूरत है। इसके पहले उन्होंने विहिप संरक्षक अशोक सिंहल से मुलाकात कर राम मंदिर, गंगा व गाय की रक्षा के लिए चलाए जा रहे आंदोलन पर विस्तार से चर्चा की। श्री सिंहल ने कहा कि फरवरी माह में आयोजित संत सम्मेलन में संतों की सहमति के बाद विहिप अपने आंदोलनों को व्यापक स्वरूप देगा। इस दौरान विहिप संगठन महामंत्री दिनेश कुमार, चंपत राय, मनोज कुमार, विनायक देशपांडे, महावीर, डॉ. चंद्र प्रकाश, शंभू मौजूद रहे। माता अमृतानंदमयी से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग प्रचारक मनोज कुमार ने मुलाकात कर स्वामी विवेकानंद के जन्मशती समारोह के ंतहत चलाए जा रहे अभियान पर चर्चा की।

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