मैली हों या साफ, मां तो मां
गंगा के प्रति अगाध श्रद्धा और सम्मान का भाव रखने वाले प्रदेश के प्रथम नागरिक राज्यपाल बीएल जोशी का मानना है कि गंगा को केवल सरकारी प्रयासों से प्रदूषणमुक्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए देश के हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी।
कुंभ नगर। गंगा के प्रति अगाध श्रद्धा और सम्मान का भाव रखने वाले प्रदेश के प्रथम नागरिक राज्यपाल बीएल जोशी का मानना है कि गंगा को केवल सरकारी प्रयासों से प्रदूषणमुक्त नहीं किया जा सकता। इसके लिए देश के हर नागरिक को अपनी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी। हर व्यक्ति गंगा में कुछ भी प्रवाहित करने से पूर्व हजार बार यह जरूर सोचे कि जिस गंगा को हम मां कहते हैं उसे प्रदूषित क्यों करते हैं। हमीं स्नान के बाद पुराने कपड़े, पॉलिथिन में पूजा सामग्री, पुष्प आदि प्रवाहित कर देते हैं फिर सरकार को क्यों दोष देते हैं।
रविवार को संगम में स्नान के बाद राज्यपाल ने दैनिक जागरण से बातचीत की। पूछने पर कि गंगा मैली हैं फिर भी आपने स्नान किया?
राज्यपाल बीएल जोशी ने कहा, मैली हों या साफ, मां तो मां। गंगा के प्रति मातृभाव है। मां के दर्शन, स्नान और पूजन से मन को शांति और सुकून मिलता है। मां का आशीर्वाद लेने की इच्छा थी, सो चला आया। मां का स्नेह और आशीर्वाद मिला, मैं धन्य हुआ।
लाख प्रयास के बावजूद भी गंगा में प्रदूषण दूर नहीं हो सका है?
यहां करोड़ों श्रद्धालु देश-विदेश से आए हैं। मैं देख रहा हूं कि लोग पूजा करके सामग्री, पॉलीथिन, फूल गंगा में ही छोड़ दे रहे हैं, ये कैसी श्रद्धा। यह श्रद्धा नहीं मां का अपमान है, उनका अनादर है। मां को सिर्फ अपनी भावना समर्पित कीजिए और कुछ नहीं, मां प्रसन्न होंगी, आशीर्वाद देंगी।
क्या सिर्फ सरकारी प्रयास से ही गंगा प्रदूषण दूर हो सकता है?
गंगा का प्रदूषण सिर्फ सरकारी प्रयास से दूर करना संभव नहीं है। पॉलीथिन का प्रयोग हमीं-आप करते हैं। आम आदमी जब तक गंगा के प्रदूषण के प्रति जागरूक नहीं होगा तब तक गंगा स्वच्छ नहीं होंगी।
सरकारी नीतियों का पालन कराना सरकार का काम है। सरकार अपना काम करेगी हम अपने स्तर पर मां के लिए जो कर सकते हैं हमें करना चाहिए। गंगा के प्रति अगर हम नहीं जगे तो आने वाली पीढि़यां हमें दोष देंगी।
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