महाशिवरात्रि: रस्म में शिव विवाह के गीत
र्वाचल के लोकाचारों में जितने आंचलिक गीत शिव विवाह पर आधारित हैं उतने किसी प्रसंग से संबद्ध नहीं। भजनों में भी लोकप्रियता के लिहाज से शिव महिमा के ही गीतों का ही वर्चस्व है। प्रस्तुत हैं शिव बरात के दो दृश्य गीतों में -
र्वाचल के लोकाचारों में जितने आंचलिक गीत शिव विवाह पर आधारित हैं उतने किसी प्रसंग से संबद्ध नहीं।
भजनों में भी लोकप्रियता के लिहाज से शिव महिमा के ही गीतों का ही वर्चस्व है। प्रस्तुत हैं शिव बरात के दो दृश्य गीतों में -
-दुलहा बा कि मदारी-
शिव जी अइलन मदारी बनि के हो बाबा
देखि के मयना डेराई गइली हो बाबा
बुढ़वा बैल पर शिव की सवारी
भूत परेत बनलबा बराती
आठों अंग भेला की भभूती
गरवा सांप मारे ला फुंफकारी
लोग देखि कठुआय गइलन हो बाबा
गौरा दुआरे आई गइली बरतिया
गौरा क सखियां निहारें सुरतिया
नाऊन जो चलली करे परछन को
फेंक के मूसरा पराय गईली हो बाबा
मचल हाहाकार सखी गौरा की नगरिया
देखि-देखि मयना पीटें आपन छतिया
अइसन तपसी से बेटी ना बियहबों
भले रहि जइहें गौरा कुंआर हो बाबा
शिव जी आए मदारी बन के बाबा.
चल देखि आई बरतिया हो सखी
चल चलीं हिमाचल की पार
बरतिया देखि आंई सखी
आगे-आगे ब्रंा चलें
पीछे-पीछे विष्णु
शिव बूढ़े बैल असवार हो सखी
चल देखि आंई बरतिया हो सखी
माथे सोहें गंगा लीलरा
चनरमा
संपवा गरे में सोहे चार हो सखी
चल देखि आई बरतिया हो सखी
केहू के गोड़ नाहीं
हाथ नाहीं केहू के मुंहवां से दीखे आरपार हो सखी
चल देखि आई बरतिया हो सखी।
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