मूल धारा से स्वत: प्रदूषण मुक्त होंगी भागीरथी
कुंभ मेला में स्वामी अधोक्षजानंद के शिविर में गंगा की स्वच्छता पर आयोजित संगोष्ठी में प्रस्ताव पारित कर संतों, महात्माओं, राजनीतिज्ञों व शिक्षाविदों ने रविवार को केंद्र सरकार से मांग की कि गंगा की स्वच्छता व मूल धारा के लिए सख्त कानून बनाया जाए।
कुंभनगर। कुंभ मेला में स्वामी अधोक्षजानंद के शिविर में गंगा की स्वच्छता पर आयोजित संगोष्ठी में प्रस्ताव पारित कर संतों, महात्माओं, राजनीतिज्ञों व शिक्षाविदों ने रविवार को केंद्र सरकार से मांग की कि गंगा की स्वच्छता व मूल धारा के लिए सख्त कानून बनाया जाए। इस अवसर पर स्वामी अधोक्षजानंद देव तीर्थ ने कहा कि जब तक गंगा की मूल धारा को नहीं छोड़ा जाएगा तब तक भागीरथी प्रदूषण मुक्त नहीं होगी।
राज्य सभा सदस्य चौधरी मुनव्वर सलीम ने कहा कि गंगा पवित्र नदी हैं। साथ ही वह भारत की सांस्कृतिक धरोहर हैं। अत: उनकी स्वच्छता के लिए देश में संविधान संशोधन करके कड़े कानून बनाने की तत्काल जरूरत है। दिल्ली टेक्निकल यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. प्रीतम शर्मा ने गंगा की सफाई के तकनीकी पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि फूल व राख डालने से गंगा प्रदूषित नहीं होती।
उन्होंने कहा कि गंगा को प्रदूषित करने के सबसे बड़े कारक रासायनिक तत्व हैं जो औद्योगिक इकाईयों से उसमें डाले जा रहे हैं। संगोष्ठी के संयोजक व नैनी इलाहाबाद स्थित कृषि विश्व विद्यालय के प्रो. मोहम्मद कलीम ने कहा कि पवित्र जल की चर्चा हर धर्म में है। संगोष्ठी का संचालन कर रहे पत्रकार पीएन द्विवेदी ने कहा कि गंगा मात्र नदीं नहीं बल्कि राष्ट्रीय धरोहर हैं और उनका जल अमृत है। संगोष्ठी में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य स्थाई अधिवक्ता कमरूल हसन सिद्दीकी, ब्रज अकादमी वृंदावन की सचिव डा. राकेश हरिप्रिया, रामानुजाचार्य स्वामी दामोदराचार्य, स्वामी सच्चिदानंद सहित तमाम साधु-संतों व बुद्धिजीवियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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