अविरल गंगा अभियान की कमान साध्वी पूर्णाबा को
काशी के इतिहास में यह संभवत: पहला मौका है जब मां गंगा की प्राण रक्षा के लिए किसी साध्वी को जलत्याग तपस्या करनी पड़ी है। शंकराचार्य घाट पर गंगा के लिए तपस्यारत ब्रहृमचारी कृष्णप्रियानंद को अस्पताल पहुंचाने को लेकर मंगलवार से चल रही जद्दोजहद के बाद बुधवार को अपराह्न में प्रशासन ने बलपूर्वक ब्रहृमचारी को तप पीठ से उठाकर मंडलीय अस्पताल पहुंचा दिया।
वाराणसी। काशी के इतिहास में यह संभवत: पहला मौका है जब मां गंगा की प्राण रक्षा के लिए किसी साध्वी को जलत्याग तपस्या करनी पड़ी है। शंकराचार्य घाट पर गंगा के लिए तपस्यारत ब्रहृमचारी कृष्णप्रियानंद को अस्पताल पहुंचाने को लेकर मंगलवार से चल रही जद्दोजहद के बाद बुधवार को अपराह्न में प्रशासन ने बलपूर्वक ब्रहृमचारी को तप पीठ से उठाकर मंडलीय अस्पताल पहुंचा दिया। ब्रहृमचारी के तप पीठ से हटते ही अन्नत्याग तपस्यारत साध्वी पूर्णाबा ने जल भी त्याग दिया और तप पीठ की कमान संभाल ली। तीन मई की रात से जलत्याग तपस्यारत ब्रहृमचारी कृष्णप्रियानंद की बिगड़ती दशा देख मंगलवार से ही जिला प्रशासन उन्हें अस्पताल पहुंचाने की कोशिश में लगा रहा लेकिन युवा तपस्वी की तप और हौसले के आगे प्रशासन को बैरंग लौटना पड़ा। एसीएम कमला प्रसाद यादव के नेतृत्व में पुन: पुलिस देर रात गए तपस्थली पहुंची और कृष्णप्रिया को अपने घेरे में लेने का प्रयास किया लेकिन कड़े विरोध के आगे प्रशासन को फिर खाली हाथ लौटना पड़ा लेकिन बुधवार को अपराह्न में पांच दिनों के भूखे-प्यासे युवा तपस्वी के प्रतिरोध की ऊर्जा जवाब दे गई और प्रशासन जीत गया। अस्पताल पहुंचते ही ब्रंाचारी की दशा ज्यादा बिगड़ गई लिहाजा उन्हें तत्काल ड्रिप लगा दिया गया। इधर, जैसे ही ब्रहृमचारी को लेकर प्रशासन मंडलीय अस्पताल के लिए रवाना हुआ, कावेरी नदी के किनारे जन्मी साध्वी पूर्णाबा ने गुरु स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का आशीर्वाद लिया और जलत्याग कर तप पीठ पर बैठ गईं। ब्रहृमचारी को लेकर अस्पताल जा रहे एसीएम को अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने मांग पत्र सौंपा। इसमें जिला प्रशासन की ओर से अब तक की गई कार्रवाईयों का विवरण उपलब्ध कराने को कहा गया है। पूछा कि तपस्या अभियान को कुल 116 दिन होने को हैं लेकिन जिला प्रशासन ने अभियानम् को इस बात की जानकारी नहीं दे सका कि आखिर वह शासन को अपनी तरफ से क्या जानकारी दे रहा है। उन्होंने जिला प्रशासन की ओर से की गई कार्रवाईयों का विवरण और केंद्र व राज्य सरकार की ओर से दिए गए जवाबों को लिखित रूप से अवगत कराने को कहा। बोलीं साध्वी पूर्णाबा- सार्थक होगी मेरी तपस्या-तपस्या की कमान संभालने वाली तपस्विनी पूर्णाबा ने कहा कि अगर गंगा मां है तो उनकी रक्षा का दायित्व पुत्रों ही नहीं पुत्रियों का भी है। मैं उस गुरु की शिष्या हूं जिसके दिल में मां गंगा के लिए असीम आदर और वर्तमान दुर्दशा के लिए अनंत पीड़ा है। वैसे भी पुरुषों की अपेक्षा महिलाओं का व्रत-उपवास ज्यादा प्रभावी माना गया है। मुझे यकीन है मेरी तपस्या सार्थक होगी। ब्रंाचारी की दशा देख रो पड़े स्वामी सानंद : ब्रंाचारी कृष्णप्रियानंद के अस्पताल पहुंचते ही स्वामी सानंद ने उन्हें गले से लगा लिया और रो पड़े। इसे देख गाजीपुर से आई एक साध्वी सहित वहां मौजूद सभी की आंखे भर आई। काफी देर तक पिता-पुत्र की तरह दोनों लिपटे रहे। बाद में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने सभी को हौसला दिया। कहा, लोक कल्याण के लिए थोड़ी पीड़ा सहनी पड़ती है।
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