उर्दू साहित्यकारों ने की दिव्य रामायण पर चर्चा
<p> मजहब नहीं सीखता आपस में बैर रखना..सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। प्रसिद्ध कवियों व शायरों द्वारा जब गीतों व शायरी का दौर चला तो देशभक्ति की लहर से ओत-प्रोत श्रोताओं अपने को रोक नहीं पाए। पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से देर तक गूंजता रहा। पूर्वा सांस्कृतिक केंद्र में काश्मीर से पहुंचे उर्दू के शायरों ने महफिल में समां बांध दी। </p>
पूर्वी दिल्ली। मजहब नहीं सीखता आपस में बैर रखना..सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तान हमारा। प्रसिद्ध कवियों व शायरों द्वारा जब गीतों व शायरी का दौर चला तो देशभक्ति की लहर से ओत-प्रोत श्रोताओं अपने को रोक नहीं पाए। पूरा हॉल तालियों की गडगडाहट से देर तक गूंजता रहा। पूर्वा सांस्कृतिक केंद्र में काश्मीर से पहुंचे उर्दू के शायरों ने महफिल में समां बांध दी। जिसके बाद पुस्तक दिव्य रामायण पर विशेष रूप से चर्चा की गई।
विकास मार्ग स्थित पूर्वा सांस्कृतिक केंद्र में अभ्युदय प्रतिष्ठान के तत्वावधान में देर शाम स्वतंत्रा दिवस के उपलक्ष्य में कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। कार्यक्रम की अध्यक्षता काश्मीर के प्रसिद्ध उर्दू शायर मो. साज ने की। जिसके बाद जम्मू व उत्तर प्रदेश व दिल्ली के हिंदी व उर्दू के साहित्यकारों ने कविताओं व शायरी के माध्यम से आजादी के महत्ता को बतलाया। वहीं बाबा कानपुरी की पुस्तक दिव्य रामायण पर विशेष रूप से चर्चा हुई। इस दौरान रामायण की छोटे-छोटे संस्मरण व कविताओं भी सुनाई गई। अंजू भाटिया द्वारा भारतीय त्यौहारों व खासकर स्वतंत्रा दिवस की मिलीजुली कलाकृतियां भी पेश की गई। मंच का संचालक लेखिका डा. रेखा व्यास ने की। इस मौके पर साहित्यकार मो. वाहिद, नरेश शर्मा, प्रवीण कुमार समेत कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।