पहले भी हो चुके हैं हादसे.
खुफिया विभाग की सूचना को पहले भी नजरअंदाज किया जा चुका है। पिछले वर्ष चौक इलाके में दो समुदायों के बीच हुआ टकराव भी खुफिया तंत्र की सूचना को अनदेखी करना ही था। इसी तरह 17 अगस्त 2012 को भी हुआ था।
कुंभनगर। खुफिया विभाग की सूचना को पहले भी नजरअंदाज किया जा चुका है। पिछले वर्ष चौक इलाके में दो समुदायों के बीच हुआ टकराव भी खुफिया तंत्र की सूचना को अनदेखी करना ही था। इसी तरह 17 अगस्त 2012 को भी हुआ था। करेली के नूरुल्ला रोड बैरियर से निकलने वाले जुलूस की जानकारी खुफिया तंत्र ने पुलिस के बड़े अफसरों को करीब चार घंटे पहले ही दे दी थी। कहा था कि जुलूस में बड़ी संख्या में लोग मौजूद हैं और कहीं भी बवाल हो सकता है। किंतु, इस सूचना को भी नजरअंदाज किया गया था। बाद में चौक में बवाल हो गया और दो समुदाय आमने-सामने आ गए थे। तत्कालीन डीएम अनिल कुमार को कफ्र्यू तक लगाना पड़ा था।
जंक्शन पर भीड़ का दबाव बढ़ा तो अफसरों को दी गई थी जानकारी, घंटों पहले ही कह दिया था कि स्थिति होती जा रही नियंत्रण के बाहर
खुफिया तंत्र की सूचना को नजरअंदाज करना पड़ा भारी-
जंक्शन हादसा। 38 की मौत और 26 गंभीर रूप से घायल। मामूली रूप से घायलों की संख्या अनगिनत। इस हादसे को रोका जा सकता था, बशर्ते खुफिया तंत्र की सूचना को गंभीरता से लिया जाता। खुफिया से जुड़े अधिकारी व कर्मी दोपहर 12 बजे से ही अधिकारियों को मोबाइल पर भीड़ बढ़ने की सूचना देने लगे थे। हर आधे घंटे पर इसका अपडेट भी किया जा रहा था। अफसरों ने इन सूचनाओं को नजरअंदाज किया जो भारी पड़ गया।
10 फरवरी को मौनी अमावस्या की देर शाम करीब सात बजे जंक्शन के प्लेटफार्म नंबर छह स्थित फुटओवर ब्रिज पर भगदड़ मच गई थी। इसमें 36 लोगों की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि दो लोगों ने अस्पताल में उपचार के दौरान दम तोड़ा था। प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, रेलमंत्री पवन बंसल, प्रदेश के कैबिनेट मंत्री बलराम यादव ने कहा था कि भीड़ अधिक होने के कारण हादसा हुआ। जांच के बाद ही यह साफ होगा कि गलती किसकी थी। स्थानीय अफसर भी लगातार यही कहते रहे, लेकिन भीड़ की जानकारी हादसे के कई घंटे पहले ही अधिकारियों को दे दी गई थी। सूत्रों के अनुसार रेलवे इंटेलिजेंस और जिले की खुफिया तंत्र ने 10 फरवरी की दोपहर 12 बजे से ही जंक्शन पर बढ़ रही भीड़ की जानकारी पुलिस अधिकारियों को देनी शुरू कर दी थी। हर आधे घंटे बाद अपार भीड़ के बारे में मोबाइल से बताया जा रहा था। यह भी कहा जा रहा था कि जंक्शन पर स्थिति नियंत्रण से बाहर होती जा रही है। खुफिया विभाग के दारोगा और अधिकारी भीड़ को लेकर चिल्लाते रहे, लेकिन बड़े अफसरों ने इस सूचना को सिर्फ एक कान से सुना और दूसरे से निकाल दिया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई सार्थक कदम नहीं उठाया। इसका परिणाम भी देर शाम सामने आ
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