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अविरल गंगा कमर कसी संत समाज ने

गंगा अभियान का दूसरा चरण संत समाज की दृढ़ता और अभेद्य व्यूह रचना का साक्षी बनेगा। संतों ने जो प्लान तैयार किया है यदि उसे प्रशासन की नाक में दम कर देने वाला कहा जाए तो गलत न होगा।

By Edited By: Published: Sat, 05 May 2012 11:22 AM (IST)Updated: Sat, 05 May 2012 11:22 AM (IST)

वाराणसी। गंगा अभियान का दूसरा चरण संत समाज की दृढ़ता और अभेद्य व्यूह रचना का साक्षी बनेगा। संतों ने जो प्लान तैयार किया है यदि उसे प्रशासन की नाक में दम कर देने वाला कहा जाए तो गलत न होगा। संकल्पित तपस्वियों के बीच शुक्रवार को हुई चिंतन बैठक में पहले चरण के जय-पराजय और प्रशासनिक दखलंदाजी को सामने रख अगले चरण के अभियान की रणनीति तय की गई, साथ ही पूरे अभियान को दो हिस्सों में बांटने का फैसला किया गया। इसमें सधी, बंधी और अखंड जलत्याग तपस्या का मसौदा तैयार किया गया। इसकी कमान स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को सौंपी गई। गंगा मुक्ति महासंग्राम को गंगा अभियान का हिस्सा बनाया गया और इसका नेतृत्व कल्कि पीठाधीश्वर प्रमोद कृष्णम् को सौंपा गया। एक बार फिर गंगा के हितों को लेकर संत व साधु समाज पूरे दमखम और योजनाबद्ध तरीके से सामने आ खड़ा हुआ है।

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यदि तैयार प्लान के तहत सब कुछ चलता रहा तो यह अभियान भारत सरकार को किसी निर्णय पर पहुंचने के लिए अंतत: मजबूर कर देगा। वैसे भी घोषित संकल्पियों के चेहरे पर मां गंगा के प्रति आस्था और संकल्प के प्रति दृढता के आगे गर्मी की तपिश व भूख-प्यास की तड़प का कद बौना पड़ता दिखा। वहीं दूसरी तरफ जलत्याग तपस्या के लिए मची होड़ और पहले मेरा नाम के लिए दिए जा रहे दबाव गंगा अभियान की पसरती व मजबूत होती जड़ों का ही संकेत देती है। अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् के प्रदेश समन्वयक राकेशचंद्र पाण्डेय की मानें तो इस बार तपस्या स्थल से पुलिस एक संत को उठाएगी तो दूसरे संत जलत्याग तप पर बैठ जाएंगे। दूसरे के हटते ही तीसरा फिर चौथा, इसी क्त्रम पर अखंड जलत्याग तपस्या चलती रहेगी। पांच तपस्वियों के नाम सामने है। इनके अलावा अन्य 37 तपस्वियों की क्त्रमवार सूची तैयार है। इनके नाम गोपनीय रहेंगे। घोषित पांच तपस्वियों के हटते ही इस गोपनीय सूची से क्रमवार एक-एक तपस्वी आगे आते रहेंगे। शंकराचार्य घाट स्थित तपस्थली पर अभी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जलत्याग तपस्या पर हैं और गंगाप्रेमी भिक्षु पिछले 41 दिनों से अन्न-जल त्याग कर मंडलीय अस्पताल में हैं जहां जिला प्रशासन की घेरेबंदी के बीच उन्हें फोर्स फीडिंग की जा रही है। ब्रह्मचारी कृष्णप्रियानंद जहां 37 दिनों से अन्न त्याग कर तप पीठ की कमान संभाले हुए हैं तो साध्वी पूणरंबा भी गुरुवार से अन्नत्याग तप पीठ पर आ डटी हैं। अब तक वह सिर्फ नीबू पानी पर हैं। इनके पीछे जल पुरुष राजेंद्र सिंह 20 मई को अपने तप शुरूआत की घोषणा कर चुके हैं। गंगा मुक्ति महासंग्राम पर निकले कल्कि पीठाधीश्वर और जल पुरुष कल्कि पीठाधीश्वर प्रमोद कृष्णम् और जलपुरुष राजेंद्र सिंह मिशन गंगा मुक्ति महासंग्राम को फतह करने का मसविदा लेकर शुक्त्रवार को काशी से रवाना हो गए। रवाना होने से पूर्व अविछिन्न गंगा सेवा अभियानम् के सार्वभौम संयोजक स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और अभियानम् के भारत प्रमुख स्वामी सानंद के साथ सुबह तकरीबन डेढ़ घंटे तक वार्ता की। सूत्रों के मुताबिक कल्कि पीठाधीश्वर देश के प्रमुख संतो, साधुओं, महात्माओं और विचारकों से गंगा अभियान में शामिल होने के बाबत चर्चा कर सप्ताह के अंत तक वापस आ जाएंगे। उनके साथ आए संत, साधु काशी में डेरा डाल देंगे और शेष 20 मई को आएंगे। वह अपने साथ आए साधु-संतों को लेकर काशी व आसपास के जिलों का दौरा करेंगे। इस दौरान जगह-जगह भजन-संध्या के माध्यम से लोगों में जनजागृति करेंगे, साथ ही 21 मई को गंगा मुक्ति महासंग्राम में शामिल होने का आग्रह भी करेंगे।

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