आस्था का केंद्र सोमेश्वरनाथ मंदिर
सोमेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना राजा सोम ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम सोमेश्वरनाथ पड़ा। यहां बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश व नेपाल के श्रद्धालु भी पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
पूर्वी चंपारण, [रविभूषण सिन्हा]। जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर स्थित अरेराज के सोमेश्वरनाथ मंदिर की स्थापना राजा सोम ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम सोमेश्वरनाथ पड़ा। यहां बिहार ही नहीं उत्तर प्रदेश व नेपाल के श्रद्धालु भी पूजा-अर्चना के लिए आते हैं।
सोमेश्वर महादेव मंदिर में सावन माह के अलावा अन्य महीनों में भी श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। यहां वर्ष में मुख्यत: छह प्रसिद्ध मेले लगते हैं, इस दौरान एक दिन में लाख से अधिक कांवरिये जलाभिषेक करते हैं। इस मंदिर की दक्षिण दिशा में निर्जन टीले पर बटुक भैरों स्थान, पश्चिम में जलपा भवानी व अकालदेव महादेव, उत्तर में मसान माई का स्थान अवस्थित है। रावणेश्वर महादेव के झारखंड राज्य का अंश बन जाने के बाद सोमेश्वर महादेव मंदिर में अधिक शिव भक्त उमड़ने लगे।
मंदिर के संबंध में किंवदंती है कि रामायणकाल में भगवान राम व महाभारत काल में वनवास की पीड़ा झेल रहे युद्धिष्ठिर ने भी अपने बंधु-बांधवों के साथ पंचमुखी शिवलिंग की पूजा की थी। इसी क्रम में भगवान राम ने महादेव मंदिर से माता पार्वती के मंदिर तक लाल वस्त्र की पगड़ी टंगवाई थी। तब से आज तक यहां परंपरा कायम है। इस मंदिर का विकास व स्थानीय क्षेत्र के उत्थान में पूर्व के महंत स्व. शिवशंकर गिरि का बहुत बड़ा योगदान रहा है। फिलहाल यह मंदिर धार्मिक न्यास बोर्ड के अधीन चला गया है। इसके अध्यक्ष आचार्य किशोर कुणाल भी मंदिर को और विकसित करने को लेकर सक्रिय हैं।
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