आयुर्वेदिक, यूनानी डॉक्टरों के सहारे मचैल यात्रा
वार्षिक मचैल यात्रा शुरू हुए छह दिन हो गए हैं। रोजाना डेढ़ से दो हजार लोग मचैल पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का यह दावा है कि श्रद्धालुओं की चिकित्सा के लिए गुलाबगढ़, मसू, चशौती व मचैल में डॉक्टरों के साथ पैरा मेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया है।
किश्तवाड़ [जम्मू-कश्मीर], जागरण संवाद केंद्र। वार्षिक मचैल यात्रा शुरू हुए छह दिन हो गए हैं। रोजाना डेढ़ से दो हजार लोग मचैल पहुंच रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग का यह दावा है कि श्रद्धालुओं की चिकित्सा के लिए गुलाबगढ़, मसू, चशौती व मचैल में डॉक्टरों के साथ पैरा मेडिकल स्टाफ को तैनात किया गया है।
हर सेंटर पर दवाइयां रखी गई हैं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने इस पूरी यात्रा का जिम्मा आयुर्वेदिक और यूनानी डॉक्टर जो सरकार ने एनआरएचएम के जरिए अस्थाई तौर पर भर्ती की है, उन पर सौंपा है। यहां हजारों श्रद्धालु यात्रा के लिए तीस किलोमीटर पैदल सफर तय करते हैं। रास्ता पहाड़ी है और हर दूसरे श्रद्धालु को कोई न कोई परेशानी आती रहती है, जिसे वह स्वास्थ केंद्रों पर जाकर दूर करता है।
अगर किसी यात्री को कोई बड़ी परेशानी हो जाए तो उसके लिए विभाग के पास कोई उपाय नहीं है। बाबा अमरनाथ की यात्रा में सौ से ज्यादा लोगों की मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा और जम्मू-कश्मीर सरकार से इसका जबाव मांगा गया। क्या मचैल यात्रा में भी ऐसी ही लापरवाही बरती जा रही है कि सरकार स्वास्थ्य केंद्रों के नाम पर खानापूर्ति कर रही है। एमबीबीएस डॉक्टरों की तैनाती न करने से स्थिति बिगड़ सकती है।
इस बारे में सीएम किश्तवाड़ डॉ. अजय गुप्ता का कहना है कि हमारे पास एमबीबीएस डॉक्टरों की कमी है और पाडर इलाके में आइएसएम डॉक्टर ही ज्यादा हैं। एक एमबीबीएस डॉक्टर को छड़ी के साथ तैनात किया है जो पैरा स्टाफ भेजा है वह भी काफी अच्छे हैं। वह यात्रा को संभाल लेंगे और हर केंद्र पर दवाइयों की कोई कमी नहीं होगी।
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