वरुणा में स्नान, शिव का ध्यान
पंचकोशी यात्रा के तीसरे पड़ाव रामेश्वर में मंगलवार को लोटा भंटा का मेला सजा। श्रद्धालुओं ने वरुणा में डुबकी लगाई। रामेश्वर महादेव के चरणों में मत्था टेका और पूजन अनुष्ठान किया। अहरे दगे और इसमें आलू-भंटा (बैंगन) के साथ बाटी सेंकी गई। प्रभु को भोग लगाया व नाते रिश्तेदारों के साथ पंगत में बैठकर प्रसाद पाया।
हरहुआ। पंचकोशी यात्रा के तीसरे पड़ाव रामेश्वर में मंगलवार को लोटा भंटा का मेला सजा। श्रद्धालुओं ने वरुणा में डुबकी लगाई। रामेश्वर महादेव के चरणों में मत्था टेका और पूजन अनुष्ठान किया। अहरे दगे और इसमें आलू-भंटा (बैंगन) के साथ बाटी सेंकी गई। प्रभु को भोग लगाया व नाते रिश्तेदारों के साथ पंगत में बैठकर प्रसाद पाया।
लोक मान्यता के अनुसार अगहन कृष्ण षष्ठी की पूर्व संध्या से रामेश्वर वरुणा तट पर रात्रि विश्राम और स्नान ध्यान से संतति व मोक्ष प्राप्ति की कामना पूरी होती है। इस परंपरा के अनुसार सोमवार की शाम से ही श्रद्धालु यहां जुट आए थे। रात के तीसरे पहर से यहां रेला उमड़ पड़ा। इसमें इसके पूर्वाचल के साथ ही बिहार व मध्यप्रदेश तक के हजारों लोग शामिल थे। सभी ने वरुणा में स्नान कर रामेश्वर महादेव, राम जानकी, राधाकृष्ण, मां तुलजा समेत देव मंदिरों में पूजन किया। उन्हें बाटी व आलू बैंगन से बने चोखा का भोग लगाया और प्रसाद खुद खाया और वितरण भी किया। बाग बगीचे और तालाबों के किनारे से लगायत सड़क-पगडंडियों तक पर मेले की मस्ती तारी रही।
जमकर खरीदारी-
आस्था से जुड़े उत्सव की रौनक लगभग 10 किलोमीटर क्षेत्र में मेला के रूप में निखर आई थी। इसे निरखने के लिए लोगों का उत्साह देखते बनता था। भोग प्रसाद के लिए सजी उपला, पुरवा-पत्तल व हांडी की दुकान तो दाल-चावल व सब्जियों के ढेर सजे थे। लकड़ी और लोहे से बने घर-गृहस्थी के सामानों की दुकानों पर खूब भीड़ उमड़ी। बच्चे खेल-खिलौने की दुकानों पर रीझे तो किशोरियां-युवतियां बिसातबाने की दुकानों पर फिदा रहीं। लाई -चूड़ा और चीनी से बनी मिठाइयां तो पकौड़े के साथ गुड़ की बनी जलेबी भायी। लोगों ने वर्ष भर की दुश्वारियों को दरकिनार कर चरखी-झूला, कठपुतलियों का नाच, आर्केस्ट्रा का आनंद लिया। पूरा दिन पूजन अनुष्ठान और अनूठे उत्सव के नाम रहा।
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